सार

उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी प्रयागराज में जनवरी 2025 में महाकुंभ लगने जा रहा है। इस दौरान लाखों साधु-संत यहां आएंगे और त्रिवेदी संगम में डुबकी लगाएंगे। कुंभ मेले में नदी स्नान का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है।

 

Prayagraj MahaKumbh 2025: हिंदू धर्म में कुंभ मेले का इतिहास हजारों साल पुराना है। हर 12 साल में देश के प्रमुख 4 शहरों, उज्जैन, नासिक, प्रयागराज और हरिद्वार में कुंभ मेला लगता है। साल 2025 के पहले महीने यानी जनवरी में 13 तारीख से प्रयागराज में महाकुंभ लगने जा रहा है। ये महाकुंभ 23 फरवरी तक रहेगा। इस दौरान लाखों साधु-संत सहित करोड़ों लोग पवित्र संगम में डुबकी लगाएंगे। कुंभ मेले के दौरान पवित्र नदी में स्नान का विशेष महत्व धर्म ग्रंथों में बताया गया है। उसके अनुसार…

सहस्त्र कार्तिके स्नानं माघे स्नान शतानि च।
वैशाखे नर्मदाकोटिः कुंभस्नानेन तत्फलम्।।
अश्वमेघ सहस्त्राणि वाजवेयशतानि च।
लक्षं प्रदक्षिणा भूम्याः कुंभस्नानेन तत्फलम्।

अर्थ- कुंभ में किए गए एक स्नान का फल कार्तिक मास में किए गए हजार स्नान, माघ मास में किए गए सौ स्नान व वैशाख मास में नर्मदा में किए गए करोड़ों स्नानों के बराबर होता है। हजारों अश्वमेघ, सौ वाजपेय यज्ञों तथा एक लाख बार पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो पुण्य मिलता है, वह कुंभ में एक स्नान करने से प्राप्त हो जाता है।

संगम में होगा कुंभ स्नान

प्रयागराज को संगम स्थान भी कहा जाता है। मान्यता है कि यही गंगा, यमुना और सरस्वती नदी आपस में मिलती है। कुंभ के दौरान संगम में स्नान करना बहुत ही महत्वपूर्ण जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से जन्मोजन्म के पाप धूल जाते हैं।

हरिद्वार में गंगा में लगाते हैं डुबकी

उत्तर प्रदेश के हरिद्वार में भी कुंभ मेला लगता है। यहां आने वाले भक्त गंगा नदी में डुबकी लगाकर स्वयं को धन्य समझते हैं। वैसे तो गंगा नदी में रोज हजारों भक्त स्नान करते हैं लेकिन कुंभ के दौरान यहां डुबकी लगाने का विशेष महत्व है।

नासिक में बहती है गोदावरी

महाराष्ट्र के नासिक में भी कुंभ मेला लगता है। यहां गोदावरी नदी बहती है। 12 साल में एक बार लगने वाले कुंभ मेले में करोड़ों लोग यहां डुबकी लगाते हैं। नासिक में शैव साधु त्र्यंबकेश्वर में और रामा दल के साधु कुशावर्त घाट पर स्नान करते हैं।

उज्जैन में ही क्षिप्रा नदी

मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी हर 12 साल में कुंभ लगता है। इसे सिंहस्थ भी कहते हैं। यहां क्षिप्रा नदी बहती है। मान्यता है कि क्षिप्रा नदी का उद्भव भगवान विष्णु के पैर के अंगूठे से हुआ है। यहां स्थित रामघाट भक्तों की आस्था का केंद्र है। कुंभ के दौरान सबसे ज्यादा भक्त इसी घाट पर स्नान करते हैं।



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