सार

अकाल मृत्यु का अर्थ असमय मौत हो जाना है। गरुण पुराण के मुताबिक भूख से पीड़ित होकर, हत्या किए जाने पर, फांसी लगाकर, जहर खाकर, आग से जलकर, पानी में डूबकर, सांप के काटने से, दुर्घटना में, गंभीर बीमारी, आत्महत्या में मौत को अकाल मृत्यु माना गया है।

मृत्यु ही जीवन का अंतिम सत्य है। जो इस दुनिया में आया है उसे अपना समय पूरा होने पर जाना होता है। यह सब पहले से तय होता है। हालांकि अकाल मृत्‍यु भी जीवन-मरण का एक हिस्सा माना जाता है। गुरुण पुराण के मुताबिक जिनकी मौत भूख से पीड़ित होकर, हत्या, फांसी लगाकर, जहर खाकर, आग से जलकर, पानी में डूबकर, सांप काटने से, दुर्घटना या गंभीर बीमारी व आत्महत्या से होती है उसे अकाल मृत्यु की श्रेणी में रखते हैं। गरुण पुराण में जीवन मृत्यु को स्पष्ट विवरण दिया गया है।

क्या होती है अकाल मृत्यु, बचाव के उपाय
व्‍यक्ति के जन्‍म और मृत्‍यु का समय तय होता है, लेकिन कई बार व्यक्ति की मौत बहुत कम उम्र में ही हो जाती है। कई लोगों की मौत बहुत कष्टदायी रहती है। गरुड़ पुराण में मृत्‍यु और अकाल मृत्‍यु के बारे में विस्तार से बताया गया है। कई बार व्यक्ति की मौत के बाद भी उसकी आत्म संसार में भटकती रहती है और वह नए शरीर में प्रवेश नहीं करती है। वह अपना जीवनकाल पूरा करने का इंतजार करती है। ऐसी मृत्‍यु अकाल मृत्‍यु कहलाती है। अकाल मृत्यु में दुर्घटना, पानी में डूबने से, सांप के काटने से, किसी रोग के कारण, भूख से पीड़ित होकर, हत्या या आत्महत्या के केस को भी अकाल मृत्यु कहा जाता है। ऐसी स्थिति में आत्‍मा अपना तय जीवनकाल पूरा होने तक इसी संसार में भटकती रहती है।

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अकाल मृत्यु से बचने के उपाय
शिव पूजन करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु योग से छुटकारा मिल जाता है। अकाल मृत्यु का भय हो तो जातक को पानी में तिल और शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। इसी के साथ आपको महामृत्युंजय मंत्र और ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए।