Ramappa Temple: हमारे देश में अनेक ऐसे मंदिर हैं, जिनका रहस्य आज तक कोई सुलझा नहीं पाया। तेलंगाना का रामप्पा मंदिर भी इनमें से एक है। इसे रामलिंगेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर का रहस्य इनके पत्थरों में छिपा है।

Unique Temples of India: तेलंगाना के मुलुगू जिले के वेंकटापुर मंडल के पालमपेट गांव में एक प्राचीन मंदिर हैं जिसे रामप्पा और रामलिंगेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है। देखने में ये मंदिर भले ही साधारण लगे लेकिन इसमें कुछ ऐसे रहस्य छिपे हैं जिन्हें आज तक कोई सुलझा नहीं पाया है। यहां तक कि वैज्ञानिक भी इन रहस्यों को समझ नहीं पाएं हैं। इस मंदिर के इन्हीं रहस्यों के चलते ये यूनेस्कों की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है। आगे जानिए इस मंदिर जुड़ी रोचक बातें…

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पत्थरों में छिपा है इस मंदिर का रहस्य

तेलंगाना का रामप्पा मंदिर लगभग 800 साल पुराना है। इतना पुराना होने पर भी ये आज भी उतनी ही मजबूती से खड़ा है, जैसा पहले था। इस रहस्य को जानने के लिए पुरातत्व विभाग की टीम पालमपेट पहुंचीं लेकिन वे इस चमत्कार को समझ नहीं पाई। बाद में जब इस टीम से मंदिर के एक पत्थर को काटकर देखा तो उनके आश्चर्य का ठीकाना नहीं रहा क्योंकि ये मंदिर एक खास पत्थर से बना है जो अन्य पत्थरों की तुलना में काफी हल्का होता है।

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पानी पर तैर सकता है ये पत्थर

पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों ने जब इस पत्थर की पानी में डाला तो देखा कि ये डूबने की बजाए तैरना लगा। तब पता चला कि इतने सालों बाद भी ये मंदिर जस का तस क्यों खड़ा है क्योंकि भारी पत्थर वजन के कारण टूटने लगते और हल्के पत्थर हजारों साल तक टूटते नहीं और अपने वास्तविक स्वरूप में रहते हैं। सबसे बड़ा सवाल है कि इस तरह के पत्थर दूर-दूर तक कहीं नहीं पाए जाते। सिर्फ रामसेतु में ही इन पत्थरों का उपयोग किया गया है। ये पत्थर वहां से कैसे लाए गए या इन्हें किसी विधि द्वारा यहीं बनाया गया, ये आज भी एक रहस्य है।

इसे कहते हैं मंदिरों की आकाशगंगा में चमकीला तारा

रामप्पा मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है। इतिहासकार बताते हैं कि 1213 ईस्वी में काकतिया वंश के राजा गणपति देव ने इस मंदिर को बनाने के लिए रामप्पा नाम के एक शिल्पकार को कहा था। रामप्पा ने राजा के आदेश पर सुंदर और विशाल मंदिर बनाया। राजा इस मंदिर को देखकर इतने खुश हुए कि इस मंदिर का नाम ही रामप्पा रख दिया। 13वीं सदी में जब इटैलियन खोजकर्ता मार्को पोलो यहां आए तो इस मंदिर की खूबसूरती देखकर उन्होंने इसे 'मंदिरों की आकाशगंगा में सबसे चमकीला तारा' कहा था।