Shardiya Navratri 2025: हमारे देश में देवी के अनेक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर हैं। इनमें से अधिकांश मंदिर ऊंचे पहाड़ों पर स्थित है। आपने कभी विचार किया है कि क्या सोचकर हमारे पूर्वजों ने ये मंदिर पर्वतों पर बनाए। जानिए क्या है इस परंपरा से जुड़ा कारण।

Devi Mandir Pahado Par Hi Kyo Banaye Gaye Hai: इस बार शारदीय नवरात्रि का पर्व 22 सितंबर से शुरू हो रहा है जो 1 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। इस पर्व के दौरान प्रमुख देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। देवी के बहुत से प्राचीन और फेमस मंदिर हैं जो पहाड़ों पर बने हुए हैं। इन मंदिरों तक जाना कितना भी कठिन क्यों न हो, लेकिन माता के भक्त यहां पहुंच ही जाते हैं। देवी मंदिर पहाड़ों पर बनाए जाने के पीछे कईं कारण हैं, जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…

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पहाड़ों पर होती है पॉजिटिव एनर्जी

देखा जाए तो पहाड़ी का स्वरूप थोड़ा-थोड़ा पिरामिड जैसा होता है। ऐसा कहा जाता है कि पिरामिड के आकार वाले स्थान पर पॉजिटिव एनर्जी अन्य स्थानों की अपेक्षा काफी ज्यादा होती है। ऐसे स्थान पर यदि ध्यान, पूजा-पाठ आदि किया जाए तो इससे शरीर में आध्यात्मिक भाव जागते हैं। यही भाव आत्मा को परमात्मा से मिलने के लिए चाहिए होता है। इसलिए हमारे पूर्वजों ने अधिकांश देवी मंदिर पहाड़ों पर ही बनाए हैं।

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पहाड़ों पर योग साधना आसान

हमारे ऋषि मुनि जानते थे कि भविष्य में योग साधना के लिए कोई भी स्थान सुरक्षित नहीं रहेगा सिर्फ पहाड़ भी शेष बचेंगे। इसलिए उन्होंने मंदिर के लिए पहाड़ों को चुना ताकि योगीजन यहां आकर अपनी साधना आसानी से कर सकें। मंदिर होने से पहाड़ों की आध्यात्मिक शक्ति और भी अधिक हो जाती है। इसलिए विद्वानों ने पहाड़ों पर मंदिरों का निर्माण किया।

पहाड़ पर मंदिर बनाने का एक कारण ये भी

पहाड़ों पर प्राकृतिक सौंदर्य अन्य स्थानों की अपेक्षा काफी ज्यादा होता है। यहां का ऑक्सीजन लेवल भी काफी अधिक होता है। हमारे पूर्वज जानते थे कि बिना किसी वजह से आने वाली पीढ़ी इन स्थानों पर नहीं आएगी। इसलिए उन्होंने पहाड़ों पर मंदिर बनाए ताकि लोग प्राकृतिक सौंदर्य को करीब से निहार सके और यहां समय गुजारकर अपनी सेहत सुधार सकें।

पहाड़ों पर स्थित प्रसिद्ध देवी मंदिर

वैष्णो देवी- त्रिकूट पर्वत (जम्मू-कश्मीर)
शारदा माता- मेहर (मध्य प्रदेश)
चामुंडेश्वरी मंदिर- मैसूर (कनार्टक)
तारा पीठ मंदिर- ब्रह्मपुर (ओडिशा)
मनसा देवी मंदिर-हरिद्वार (उत्तर प्रदेश)
मुंडेश्वरी माता मंदिर- कैमूर (बिहार)
तुलजा भवानी मंदिर- देवास (मध्य प्रदेश)
महाकाली मंदिर – पावागढ़ (गुजरात)
आसापुरा माता मंदिर- भुज (गुजरात)
कनकदुर्गा मंदिर- विजयवाड़ा (आंध्रा प्रदेश)


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इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।