सार

Shivaji Maharaj Jayanti March 2023: शिवाजी महाराज ने मुगलों से देश को आजाद करवाने के लिए कई युद्ध किए। यहां तक कि अपना पूरा जीवन ही देश को समर्पित कर दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उनका जन्म चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था।

 

उज्जैन. शिवाजी हमारे देश के महान योद्धाओं में से एक थे। जिस समय हमारा देश मुगलों का गुलाम था, उस समय शिवाजी ने उनके आतंक को खत्म करने का बीड़ा उठाया और इसके लिए एक सशस्त्र सेना तैयार की। (Shivaji Maharaj Jayanti ) उन्होंने मुगलों के विरुद्ध कई भीषण युद्ध किए और मुगलों के शासन की नींव हिला दी। प्राप्त जानकारी के अनुसार, उनका जन्म चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था। हालांकि शिवजी की जन्म तिथि और तारीख को लेकर काफी मतभेद है। शिवाजी के जीवन से बहुत सीखा जा सकता है। आगे जानिए शिवाजी के जीवन से जुड़े प्रसंग, जो हमें लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र सीखाते हैं…

सफलता कैसे पाएं? सीखें शिवजी से
जब शिवाजी मुगलों के विरुद्ध छापा मार युद्ध लड़ रहे थे। तब एक दिन वे थके-मांदे एक वनवासी बुढ़िया की झोपड़ी में पहुंचे। बुढ़िया उन्हें नहीं पहचानती थी। वहां बुढ़िया ने उनके लिए चावल पकाए और खाने को दिए। शिवाजी बहुत भूखे थे, उन्होंने चावल के बीच में जैसे ही उंगलियां डाली, वे जल गईं। ये देख बुढ़िया ने कहा “लगता है तू भी तेरे राजा शिवाजी की तरह ही मूर्ख है।”
बुढ़िया की बात सुनकर शिवाजी ने उनसे पूछा कि “आपने ऐसा क्यों कहा?”
बुढ़िया ने कहा “ चावल हमेशा किनारे पर ठंड होते हैं न कि बीच में से, थोड़ा ठंडा भात खाने की बजाए तूने उसके बीचो-बीच हाथ डाल दिया और उंगलियां जला लीं। यही गलती शिवजी भी करता है, वो छोटे-छोटे किलों को आसानी से जीतते हुए शक्ति बढ़ाने की बजाए बड़े किलों पर धावा बोलता है और हार जाता है।”
बुढ़िया की बात सुनकर शिवजी को अपनी गलती समझ में आ गई और फिर उन्होंने उसी नीति का उपयोग करते हुए अपनी शक्ति बढ़ाई और बड़ी विजय पाने में सफल हुए।

शक्ति होते हुए माफ करना सीखें
एक बार शिवाजी जंगल से गुजर रहे थे, तभी उनके माथे पर एक पत्थर आकर लगा। शिवाजी को बहुत क्रोध आया और वे पत्थर मारने वाले को खोजने लगे। तभी एक वृद्धि व्यक्ति उन्हें नजर आया। उसने बताया कि ये पत्थर उसने आम तोड़ने के लिए पेड़ पर मारा था जो गलती से शिवजी के माथे पर आ लगा। कुछ देर के लिए तो शिवजी को उस वृद्ध व्यक्ति पर बहुत क्रोध आया लेकिन फिर उन्होंने सोचा कि जब एक पेड़ इतने पत्थर खाकर भी मीठे फल दे सकता है तो मैं तो मनुष्य हूं, मैं कैसे किसी पर क्रोधित हो सकता हूं। ये सोचकर शिवजी ने उस बूढ़े व्यक्ति को माफ कर दिया।

महिलाओं का हमेशा सम्मान करो
एक बार शिवाजी का एक सेनापति मुगलों पर विजय प्राप्त करके लौटा और उन्हें ये खुशखबरी सुनाई। साथ ही ये भी कहा कि “मैं आपके लिए एक खास तौहफा लेकर आया हूं।” सेनापति के इशारे पर एक पालकी शिवाजी के पास आई और उसमें से एक सुंदर महिला बाहर निकली। उस महिला को देखते ही शिवाजी को सेनापति की बात समझ में आ गई और वे तुरंत उस महिला के पास जाकर बोले “ माँ , मैं आपके दर्शन करके धन्य हो गया। मेरे सैनिकों की गलती को आप क्षमा कर दीजिये। आपको सही – सलामत आपके पति के पास पहुंचा दिया जाएगा।”
शिवाजी के मुंह से ऐसी बात सुनकर वो महिला बोली “ आप सचमुच महान हैं शिवाजी, आपके बारे में अब तक केवल सुना था, आज देख भी लिया।”
इसके बाद शिवाजी ने उस महिला को उसके पति को पास पहुंचा दिया और सेनापति को दोबारा ऐसा न करने के लिए समझाया और कहा कि ” सच्चा वीर वही है जो हमेशा नारी का सम्मान करें।”



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