Tulsidas Jayanti 2025: कब है तुलसीदास जयंती? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व
Tulsidas Jayanti Special: 31 जुलाई के दिन तुलसीदास जयंती मनाई जाने वाली है। इस खास मौके पर हम आपको उनके बचपन से लेकर राम भक्ति में लीन होने के सफर को बताने जा रहे हैं। साथ ही जानिए क्या है तुलसीदास जयंती का शुभ मुहूर्त और महत्व।

31 जुलाई को मनाई जाएगी तुलसीदास जयंती
भारत में कई विद्वान, ऋषि-मुनि ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी अलग ही छाप लोगों के दिलों-दिमाग पर छोड़ी हुई है। इस संदर्भ में हम बात कर रहे हैं तुलसीदास की, जो कि महान कवि होने के साथ-साlथ संत भी थे। उन्होंने रामचरितमानस की रचना करके राम भक्तों को एक अलग ही मार्ग दिखाया था। 31 जुलाई को उनकी 528वीं जयंती मनाई जाने वाली है। ऐसे में आइए जानते हैं तुलिसदास जयंती से जुड़े शुभ मुहूर्त और महत्व।
तुलसीदास जयंती शुभ मुहूर्त
- इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 03:59 ए एम से 04:42 ए एम तक रहेगा.
- प्रातः सन्ध्या मुहूर्त सुबह 04:21 ए एम से सुबह 05:25 ए एम तक है
- अभिजित मुहूर्त सुबह 11:38 ए एम से दोपहर 12:31 पी एम तक रहेगा
- विजय मुहूर्त दोपहर 02:17 पी एम से दोपहर 03:11 पी एम तक
- वहीं, गोधूलि मुहूर्त शाम 06:44 पी एम से शाम 07:05 पी एम तक रहेगा
- सायाह्न सन्ध्या शाम 06:44 पी एम से शाम 07:48 पी एम तक रहेगा
- अमृत काल शाम 05:32 पी एम से शाम 07:20 पी एम तक रहेगा
- निशिता मुहूर्त रात 11:43 पी एम से 12:26 ए एम देर रात (अगले दिन अगस्त 01)
तुलसीदास जी के मुख से पहला शब्द राम
गोस्वामी तुलसीदास का जन्म संवत् 1554 में हुआ था। ऐसा कहा जाता है कि जब वो पैदा हुए थे उनके मुख से सबसे पहला शब्द राम निकला था। जन्म से ही उनके मुंह में बत्तीस दांत थे। तुलसीदास को बचपन में रामबोला कहा जाता था। उन्होंने काशी में जाकर शेषसनातनजी के पास रहकर वेद-वेदांगों का अध्ययन किया था।
पत्नी की एक फटकार ने दिखाया रास्ता
1583 में वो शादी के बंधन में बंध गए थे। वो अपनी पत्नी से बेहद प्यार करते थे। एक दिन तुलसीदास की पत्नी अपने मायके चली गई, वो भी बिना देरी करें वहां जा पहुंचे। इस बात से उनकी पत्नी काफी ज्यादा नाराज हो गई। उन्होंने कहा कि तुम्हारी जितनी आसक्ति मुझमें है, उससे आधी भगवान में होती तो तुम्हारा कल्याण हो जाता। पत्नी की ये बात तुलसीदास जी को चुभ गई और उन्होंने राम भक्ति में लीन होने का फैसला किया।
भगवान शिव और राम जी के दर्शन
तुलसीदास जी ने अपने जीवनकाल में 12 ग्रंथ लिखे थे। तुलसीदासजी को महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस के बाद विनय पत्रिका तुलसीदासकृत एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है। ऐसा कहा जाता है कि तुलसीदास जी को राम-लक्ष्मण के साथ ही भगवान शिव-पार्वती के दर्शन प्राप्त हुए थे।