सार
Ujjain Mahakal: शिवपुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों के बारे में बताया गया है। इनमें से तीसरा ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है जिसे महाकालेश्वर के नाम से जाना जाता है। यहां महाशिवरात्रि के मौके पर खास परंपराओं का पालन किया जाता है।
उज्जैन. महाशिवरात्रि (mahashivratri 2023) हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस मौके पर प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में कई परंपराओं का पालन किया जाता है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भी कुछ ऐसी ही परंपरा हैं, यहां महाशिवरात्रि के अगले दिन बाबा महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है और सेहरा भी चढ़ाया जाता है। (groom form of mahakal) ये सेहरा कई क्विंटल वजनी होता है, जिसे बनाने के लिए विदेशी फूलों का उपयोग भी किया जाता है। आगे जानिए इस सेहरे से जुड़ी खास बातें और वीडियो में देखें सेहरे में सजे भगवान महाकाल…
9 दिन तक निभाई जाती है विवाह की रस्में
उज्जैन के महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि का पर्व 9 दिन पहले ही शुरू हो जाता है, जिसे शिव नवरात्रि कहते हैं। इन 9 दिनों में रोज भगवान महाकाल को हल्दी, मेहंदी आदि लगाई जाती है और हर वो परंपरा निभाई जाती है जो हिंदू धर्म में दूल्हे के विवाह के पूर्व निभाई जाती है। इन 9 दिनों में भगवान महाकाल को रोज आकर्षक श्रृंगार किया जाता है।
साल में सिर्फ एक बार होता है सेहरा दर्शन (Mahakal Ka Sehra Darshan)
महाशिवरात्रि के अगले दिन भगवान महाकाल को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। इस दिन सुबह की जाने वाली भस्मारती दोपहर 12 बजे की जाती है। भगवान महाकाल का दूल्हे के रूप में श्रृंगार साल में सिर्फ एक बार होता है, इसलिए ये मौका बहुत खास होता है। भगवान शिव के इस स्वरूप को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं।
इतना वजनदार होता है सेहरा
भगवान महाकाल को चढ़ाया जाने वाला बहुत खास होता है। ये सेहरा एकदम ताजा रहे इसके लिए एक दिन पहले एक ही परिवार के 7-8 लोग पूरे दिन काम में जुटे रहते हैं। अलग-अलग हिस्सों में तैयार करके इसे मंदिर ले जाया जाता है और वहां इसे पूरा कर भगवान महाकाल को चढ़ाया जाता है। सेहरे का वजन लगभग ढाई से तीन क्विंटल होता है। उज्जैन के मालीपुरा में रहने वाले अजय परमार पिछले 7-8 सालों से भगवान महाकाल का सेहरा बना रहे हैं।
इन फूलों का होता है उपाय
भगवान महाकाल के सेहरा बनाने के लिए कई तरह के फूलों का उपयोग किया जाता है, इनमें गुलाब, गेंदा, मोगरा, कुंद, चमेली व आंकड़े के फूलों के साथ-साथ अंगूर और बेर आदि फलों का उपयोग भी किया जाता है। सेहरे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए अंग्रेजी गुलाब भी इसमें लगाए जाते हैं, जिसकी कीमत लगभग 15 से 20 रुपए होती है।