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Vikram Samvat 2080: 22 मार्च को हिंदू नववर्ष पर बनेंगे कई दुर्लभ योग, 5 कारण जो इस दिन को बनाएंगे खास
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जानें इस बार क्यों खास रहेगा विक्रम संवत 2080?
उज्जैन. वैसे तो पूरी दुनिया में अंग्रेजी कैलेंडर की मान्यता है जो 1 जनवरी से शुरू होता है, लेकिन इसके बाद भी अलग-अलग धर्मों के अपने विभिन्न कैलैंडर प्रचलित हैं। हिंदू धर्म के कैलैंडर को विक्रम संवत्सर (Vikram Samvat 2023) कहा जाता है। इस बार 22 मार्च से विक्रम संवत्सर 2080 का आरंभ होगा। इस दिन गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया जाता है वहीं चैत्र नवरात्रि का आरंभ भी इसी दिन से माना जाता है। इस बार हिंदू नववर्ष पर ग्रहों के कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। आगे जानिए इनके बारे में…
शनि 30 साल बाद रहेगा कुंभ राशि में
शनि सौर मंडर का सबसे धीमा चलने वाला ग्रह है। वर्तमान में ये कुंभ राशि में स्थित है जो इसकी स्वयं की राशि है। इसके पहले साल 1993 में शनि के कुंभ राशि में रहते हुए विक्रम संवत यानी हिंदू नववर्ष की शुरूआत हुई थी, और अब ये योग 2023 में बना है। ज्योतिष शास्त्र में शनि का स्वराशि में होना शुभ माना जाता है और ऐसा संयोग कई सालों में एक बार बनता है।
12 साल बाद गुरु अपनी स्वराशि में
ज्योतिष शास्त्र में किसी भी शुभ कार्य से पहले गुरु ग्रह की स्थिति पहले देखी जाती है। इस समय गुरु अपनी स्वराशि मीन में स्थित है। इसके पहले साल 2011 में गुरु ग्रह मीन राशि में था, तब विक्रम संवत का पर्व मनाया गया था। 22 मार्च को इस राशि में गुरु के साथ बुध भी रहेगा। ज्योतिष शास्त्र में बुध और गुरु की युति को और भी शुभ माना गया है।
पंचक में हिंदू नववर्ष का आरंभ
इस बार हिंदू नववर्ष का आरंभ पंचक में होगा। वैसे तो मान्यताओं में पंचक को अशुभ समय माना गया है, लेकिन ऐसा नहीं है। पंचक में सिर्फ कुछ ही कार्य करने की मनाही है। पंचक की शुरूआत 19 मार्च, रविवार से होगी। रविवार को पंचक के शुरू होने से ये रोग पंचक कहलाएगा।
बुधादित्य योग में रहेगा इस दिन
22 मार्च को मीन राशि में गुरु के साथ-साथ बुध और सूर्य भी रहेंगे। बुध और सूर्य की युति ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही शुभ मानी गई है। इन दोनों ग्रहों के साथ होने से बुधादित्य नाम का राजयोग बनेगा। इस योग में जो भी कार्य किया जाता है, उसके फल कई गुना होकर प्राप्त होगा। इस योग के बनने से हिंदू नववर्ष का महत्व और भी बढ़ गया है।
शुक्र और राहु रहेंगे एक ही राशि में
ज्योतिष शास्त्र में राहु को क्रूर ग्रह कहा गया है और इसे राक्षस प्रवृत्ति का माना गया है। वहीं शुक्र को राक्षसों का गुरु कहा जाता है। हिंदू नववर्ष के मौके पर ये दोनों ग्रह एक ही राशि में यानी मेष में रहेंगे। ये दोनों ग्रह आपस में मित्र की व्यवहार करते हैं, इसलिए हिंदू नववर्ष पर इन दोनों ग्रहों की युति होने एक दुर्लभ संयोग है।
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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।