सार

Krishna Janmashtami: जन्माष्टमी भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व है। पूरे देश में ये त्योहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। इस बार पंचांग भेद के कारण इसे मनाए जाने को लेकर संशय की स्थिति बन रही है। कुछ लोग ये त्योहार 18 अगस्त तो कुछ 19 अगस्त को मनाएंगे। 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, द्वापर युग में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि (Krishna Janmashtami) को भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया था। इस बार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 अगस्त, गुरुवार की रात लगभग 09.21 से शुरू होकर 19 अगस्त, शुक्रवार की रात 10.50 मिनट तक रहेगी। चूंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि की मध्य रात्रि 12 बजे हुआ था, इसलिए कुछ स्थानों पर जन्माष्टमी का पर्व 18 अगस्त को ही मनाया जाएगा। अगर आप भी 18 अगस्त, गुरुवार को ये पर्व मना रहे हैं जो आपके लिए ये बातें जानना जरूरी है… 

ये हैं पूजा का शुभ मुहूर्त (Krishna Janmashtami 2022 Shubh Muhurat)
18 अगस्त, गुरुवार की रात पूजा का शुभ मुहूर्त 12.20 से 01.05 तक रहेगा। यानी पूजा के लिए आपको 45 मिनट का ही समय मिलेगा। 18 अगस्त को व्रत करने वाले 19 अगस्त, शुक्रवार की सुबह व्रत का पारणा करेंगे यानी व्रत पूर्ण करेंगे। इसका समय रात 10.59 मिनट के बाद है।

18 अगस्त को कौन-कौन से शुभ योग बनेंगे? ( Krishna Janmashtami 2022 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, 18 अगस्त को सूर्योदय भरणी नक्षत्र में होगा, जो सुबह 11.35 तक रहेगा। गुरुवार को भरणी नक्षत्र होने से पद्म नाम का शुभ योग बनेगा। इस दिन वृद्धि योग सुबह से लेकर रात 08.41 तक रहेगा। इसके बाद धुव्र योग शुरू होगा जो 19 अगस्त की रात 08.59 तक रहेगा। ध्रुव और वृद्धि योग बहुत ही शुभ माने गए हैं।

इस विधि से करें जन्माष्टमी की पूजा (Krishna Janmashtami 2022 Puja Vidhi) 
- 18 अगस्त की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद किसी साफ स्थान पर एक झूले में श्रीकृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें। 
- पहले भगवान को झूला झूलाएं। फिर माखन मिश्री का भोग लगाएं। दिन भर निराहार रहें यानी कुछ भी खाए-पिए नहीं। संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। पूरे दिन भगवान का नाम लेते रहें, और बुरे विचार मन में न लाएं।  
- रात को 12 बजे बाद भगवान श्रीकृष्ण को पंचोपचार (अबीर, गुलाल, कुंकुम) पूजा करें। इसके बाद जनेऊ आदि चीजें चढ़ाएं। एक बार पुन: माखन मिश्री के साथ पंजीरी का भोग भी लगाएं।
- अंत में लड्डू गोपाल की आरती करें और व्रत का पारणा करें। इस तरह जन्माष्टमी का व्रत करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा आप हम हमेशा बनी रहेगी।

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