सार

बॉलीवुड में इस साल सिर्फ 'गंगूबाई काठियावाड़ी', 'द कश्मीर फाइल्स', 'जुग जुग जियो', 'भूल भुलैया 2' और 'ब्रह्मास्त्र पार्ट 1: शिवा' ही सक्सेसफुल रही हैं। जबकि 'सम्राट पृथ्वीराज', 'लाल सिंह चड्ढा' और 'थैंक गॉड' जैसी बड़ी फ़िल्में तक बॉक्स ऑफिस पर मुंह के बल गिरीं।

एंटरटेनमेंट डेस्क. बॉलीवुड के लिए साल 2022 निराशाजनक रहा है, जबकि साउथ इंडियन सिनेमा खासकर कन्नड़ फ़िल्में हिंदी बेल्ट में भी धमाकेदार कमाई कर रही हैं और हिट, सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर होती जा रही हैं। ताजा उदाहरण 'कांतारा' (Kantara) का है, जिसका निर्माण तो 16 करोड़ रुपए में हुआ है। लेकिन वर्ल्डवाइड 300 करोड़ रुपए के कलेक्शन का आंकडा पार कर चुकी है। इसी फिल्म के डायरेक्टर और एक्टर ऋषभ शेट्टी (Rishab Shetty) ने हाल ही में बॉलीवुड पर जमकर भड़ास निकाली और बताया कि आखिर क्या वजह है कि हिंदी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर लगातार फ्लॉप हो रही हैं।

'हम फिल्मे दर्शकों के लिए बनाते हैं'

एक अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट से बातचीत में ऋषभ ने कहा, "हम फ़िल्में दर्शकों के लिए बनाते हैं, खुद के लिए नहीं। हमें उनकी भावनाओं का ध्यान रखने की जरूरत है। हमें यह देखने की जरूरत है कि उनके मूल्य और जीवन जीने के तरीके क्या हैं?  फिल्ममेकर बनने से पहले हम वहीं थे। लेकिन अब पश्चिम का अत्यधिक प्रभाव और हॉलीवुड और अन्य कंटेंट की खपत को देखकर फिल्म निर्माता भारत में ऐसा ही करने की कोशिश करते हैं। लेकिन आप ऐसा क्यों कर रहे हैं? लोगों को वह सब हॉलीवुड से पहले ही मिल रहा है और क्वालिटी, स्टोरीटेलिंग और परफॉर्मेंस  के मामले में वे इसे बेहतर कर रहे हैं।"

फिल्मों के कंटेंट पर फोकस की जरूरत

ऋषभ शेट्टी का मानना है कि वेब कंटेंट के बढ़ते दायरे को देखते हुए भारतीय फिल्मों के कंटेंट पर फोकस करने की जरूरत और भी महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने आज के फिल्ममेकर्स को सलाह देते हुए कहा, "OTT के कई प्लेटफॉर्म्स पर कई भाषाओं में पर आप यह सब (पश्चिमी कंटेंट) पा रहे हैं। लेकिन आप वहां मेरे गांव की कहानी नहीं पाएंगे। जड़ें, क्षेत्रीय कहानी कुछ ऐसी है, जो आपको पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलती। आप स्टोरी टेलर हैं और आपके क्षेत्र में कहानियां हैं। आपको लोगों तक यही पहुंचाने की जरूरत है।" 

'कांतारा' की रीमेक को लेकर यह बोले

'कांतारा' की वर्ल्डवाइड सफलता को देखते हुए दूसरी भाषाओं में इसके रीमेक की चर्चा है। लेकिन ऋषभ शेट्टी को नहीं लगता कि ऐसा संभव है। वे कहते हैं, "जब मैं लिखता हूं तो उसका बैकग्राउंड कुछ ऐसा होता है, जो मैंने देखा होता है। अगर आप कांतारा देखते हैं तो यह एक सिम्पल स्टोरी है। इसमें एक हीरो है, एक विलेन है, हमारे पास रोमांस है और रेगुलर स्टफ है। जो नया है, वह बैकग्राउंड है।लेयर्स हैं और पैकेजिंग है। एक फिल्म की भावना पैदा करने के लिए ये सब साथ आते हैं। यह मेरे गांव की कहानी है, जिसे मैंने बचपन में देखा था, इसलिए मैंने इसे पेश कर दिया। मैं हमेशा कहता हूं, "ज्यादा रीजनल, ज्यादा यूनिवर्सल है।' इसलिए अगर कोई फिल्ममेकर इस भावना को पा सकता है, अपने क्षेत्र की संस्कृति को पा सकता है और पेश कर सकता है और स्टोरी की पैकेजिंग कर सकता है तो हो सकता है कि यह काम कर जाए। लेकिन यह बिल्कुल ज्यों का त्यों नहीं हो सकता।"

बात 'कांतारा' की करें तो फिल्म का निर्देशन और इसमें लीड रोल करने के साथ-साथ ऋषभ शेट्टी ने इसकी कहानी भी लिखी है। फिल्म में सप्तमी गौड़ा, किशोर और अच्युत कुमार की भी अहम भूमिका है। 30 सितम्बर को रिलीज हुई यह फिल्म वर्ल्डवाइड लगभग 324 करोड़ से ज्यादा, भारत में 253 करोड़ से ज्यादा और हिंदी बेल्ट में 53 करोड़ रुपए से ज्यादा का कलेक्शन कर चुकी है।

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