सचिन तेंदुलकर ने विज्ञापनों से हुई विदेशी आय पर खुद को 'एक्टर' बताकर टैक्स बचाया। उन्होंने सेक्शन 80RR के तहत छूट का दावा किया, जिसे टैक्स ट्रिब्यूनल ने सही माना। इस फैसले से सचिन ने करीब 58 लाख रुपये की बचत की।

क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के सामने खुद को एक 'एक्टर' बताकर 58 लाख रुपये बचाए। टैक्सबड्डी डॉट कॉम के फाउंडर सुजीत बांगर ने हाल ही में एक्स (X) प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में सचिन की इस फाइनेंशियल ट्रिक के बारे में मजेदार जानकारी शेयर की है।

क्या थी वो ‘एक्टिंग की ट्रिक’?

यह मामला 2002-03 के फाइनेंशियल ईयर का है। पेप्सी, वीज़ा और ईएसपीएन जैसे ब्रांड्स के विज्ञापनों में काम करके सचिन को विदेशी आय के तौर पर 5.92 करोड़ रुपये मिले। इस कमाई को 'क्रिकेटर' की कमाई दिखाने के बजाय, सचिन ने इसे एक 'एक्टर' के पेशे से हुई कमाई बताया। इसके बाद, उन्होंने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80RR के तहत 30% टैक्स छूट की मांग की।

सेक्शन 80RR लेखकों, नाटककारों और कलाकारों को विदेशी कमाई पर टैक्स छूट देता है। सचिन ने खुद को क्रिकेटर नहीं कहा। उन्होंने खुद को एक्टर बताया और बस इसी एक शब्द ने सब कुछ बदल दिया, पोस्ट में ऐसा कहा गया है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने किया विरोध

लेकिन, टैक्स असेसिंग ऑफिसर ने सचिन की इस दलील को नहीं माना। ऑफिसर का कहना था, 'आप एक क्रिकेटर हैं; विज्ञापन तो बस उसी से जुड़ा काम है। इसे 'अन्य स्रोतों से आय' माना जाना चाहिए और इस पर 80RR की छूट नहीं मिलेगी।' लेकिन, सचिन का तर्क था कि उन्होंने मॉडलिंग/एक्टिंग की है, जो एक एक्टर का पेशा है, इसलिए 80RR लागू होना चाहिए। इसके बाद, इनकम टैक्स अपीलेट ट्रिब्यूनल को यह तय करना पड़ा कि किसी व्यक्ति को 'एक्टर' कैसे परिभाषित किया जाए।

फैसला सचिन के हक में आया

ट्रिब्यूनल ने फैसला सुनाया कि कोई भी काम जिसमें कल्पना और क्रिएटिविटी शामिल हो, वह 'एक्टर' की परिभाषा में आता है। उन्होंने साफ किया कि मॉडलिंग और टीवी विज्ञापन भी इसमें शामिल हैं। ट्रिब्यूनल ने यह भी आदेश दिया कि सचिन के दो पेशे हैं - एक क्रिकेटर के तौर पर और दूसरा एक्टर के तौर पर। विज्ञापनों से हुई कमाई को एक्टिंग से हुई कमाई माना गया। आखिर में, ट्रिब्यूनल ने सचिन की दलील मान ली और विदेशी विज्ञापन से हुई कमाई पर सेक्शन 80RR के तहत छूट देने का आदेश दिया। इसका मतलब है कि सचिन ने टैक्स में करीब 58 लाख रुपये बचाए।

सुजीत बांगर बताते हैं कि यह घटना इस बात का उदाहरण है कि कैसे टैक्स कानून की सही समझ और हालात के हिसाब से सही कदम उठाने से जीत मिल सकती है। सचिन की यह ट्रिक इस बात का सबूत है कि कोई भी टैक्स कानूनों का पूरा फायदा उठा सकता है।