सार
लक्ष्य सेन ने बचपन में ही बैडमिंटन हाथ में थाम लिया था। छोटी सी ही उम्र में नेशनल से इंटरनेशनल प्लेयर बन गए थे। थॉमस कप जीतने के बाद लक्ष्य सेन हर किसी की जुबां पर हैं। आइये आपको बताते हैं कि लक्ष्य का सफर कैसा रहा।
नई दिल्लीः भारतीय बैडमिंटन (Badminton) खिलाड़ियों ने थॉमस कप (Thomas Cup) जीत कर इतिहास रच दिया है। इस जीत की मुख्य भूमिका में रहे शटलर लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) की चहूंओर तारीफ हो रही है। थॉमस कप जीतने के बाद पीएम मोदी ने लक्ष्य सेन को फोन कर कहा था कि तुमसे अल्मोड़ा की बाल मिठाई खाऊंगा। रविवार को लक्ष्य सेन से मुलाकात के दौरान जब लक्ष्य ने मिठाई दी तो उन्होंने तुरंत मिठाई का डिब्बा ले लिया और उनकी जमकर तारीफ की। पीएम मोदी ने इससे पहले भी लक्ष्य सेन की तारीफ की है। अल्मोड़ा के रहनेवाले लक्ष्य का बैडमिंटन से पुराना नाता रहा है। उनके दादा भी बैडमिंटन प्लेयर रह चुके हैं। पिता कोच हैं।
लक्ष्य सेन के दादा रह तुके हैं नेशनल प्लेयर
लक्ष्य का जन्म 16 अगस्त 2001 को मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। अल्मोड़ा के तिलकपुर में 80 वर्षों से उनका परिवार तिलकुर में रहता आ रहा है। लक्ष्य सेन के दादा सीएल सेन सिविल सर्विसेज में राष्ट्रीय स्तर की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं। वे जिला परिषद में नौकरी किया करते थे। उन्होंने भी कई खिताब अपने नाम किया। पिता डीके सेन भी अभी कोच हैं। पहले वे साई के कोच हुआ करते थे। लक्ष्य ने छोटी सी उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। जब लक्ष्य 6 साल के थे, तभी दादा जी ने बैडमिंटन रैकेट गिफ्ट किया था। दादा जी ने लक्ष्य को बैडमिंटन के कई गुर सिखाये। कुछ ही सालों में लक्ष्य सेन ने अपना लक्ष्य तय कर लिया। उसने जिला, राज्य के बाद राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक हासिल किए। 10 वर्ष की उम्र में ही लक्ष्य ने पहला अंतरराष्ट्रीय खिताब अपने नाम किया। उसे गोल्ड मेडल मिला था।
बड़ा भाई भी इंटरनेशनल बैडमिंटन प्लेयर
लक्ष्य सेन के बड़े भाई चिराग भी इंटरनेशनल बैडमिंटन प्लेयर हैं। उनकी मां निर्मला सेन निजी स्कूल में शिक्षिका थीं। 2018 में पिता ने वीआरएस ले लिया। उसके बाद मां भी बच्चों की परवरिश और ट्रेनिंग के लिए बेंगलुरु शिफ्ट हो गईं। वहां लक्ष्य और चिराग ने ट्रेनिंग ली। अब पिता डीके सेन प्रकाश पादूकोण एकेडमी में सीनियर कोच हैं। जानकारी दें कि लक्ष्य सेन ऑल इंडिया बैडमिंटन चैंपियनशिप में पहुंचनेवाले पांचवे भारतीय खिलाड़ी हैं। उनसे पहले 1947 में प्रकाश नाथ, 1980 में प्रकाश पादूकोण और 2001 में पुलेला गोपीचंद चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे। महिला वर्ग में साइना नेहवाल ने 2015 में इस चैंपियनशिप का फाइनल खेल चुकी हैं। लक्ष्य सेन ने मशहूर विमल कुमार, पुलेला गोपीचंद और योंग सूयू से प्रशिक्षण लिया हुआ है।
लक्ष्य सेन की उपलब्धियां
लक्ष्य ने लिनिंग सिंगापुर यूथ इंटरनेशनल सीरीज में गोल्ड, इजरायल जूनियर इंटरनेशनल के डबल और सिंगल में गोल्ड, योनेक्स जर्मन जूनियर इंटरनेशनल में सिल्वर, डच जूनियर में ब्रॉन्ज, यूरेशिया बुल्गारिया ओपन में गोल्ड, एशियाजूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड, यूथ ओलंपिक में सिल्वर, वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रान्ज समेत कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को पदक दिलाया है। आपको बता दें कि लक्ष्य सेन ने इसी साल मार्च में हुए योनेक्स ऑल इंडिया इंग्लैंड बैजडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे। लेकिन फाइनल में वे ओलंपिक चैंपियन विक्टर एक्सेलसेन से मात खा बैठे। उसके बाद पीएम मोदी और सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर उनका हौसला बढ़ाया था।