बिहार में महागठबंधन द्वारा तेजस्वी यादव को CM और मुकेश सहनी को डिप्टी CM चेहरा घोषित करने पर AIMIM ने नाराज़गी जताई है। पार्टी ने 18% मुस्लिम आबादी की अनदेखी का आरोप लगाया है। AIMIM ने इसे मुस्लिम समुदाय के साथ सियासी धोखा बताया है।
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन द्वारा सीएम फेस (तेजस्वी यादव) और डिप्टी सीएम फेस (मुकेश सहनी) की घोषणा के बाद सियासी पारा चढ़ गया है। खास तौर पर मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए जाने पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने तीखा हमला बोला है। AIMIM ने इस फैसले को लेकर बिहार के मुस्लिम समुदाय की सियासी हिस्सेदारी और भागीदारी पर सवाल उठाए हैं। पार्टी ने आरोप लगाया है कि महागठबंधन ने 18 प्रतिशत मुस्लिम आबादी को दरकिनार करते हुए, कम आबादी वाले वर्ग को उच्च पद पर बैठाया है।
'2% वाला डिप्टी सीएम, 18% दरी बिछावन मंत्री'
AIMIM के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली ने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें लिखा था: "2% वाला उपमुख्यमंत्री, 13% वाला मुख्यमंत्री, 18% वाला दरी बिछावन मंत्री।" उन्होंने लिखा, "जब हम कुछ कहेंगे तो बोलेंगे अब्दुल तू चुप बैठ वरना बीजेपी आ जाएगी।"
शौकत अली ने एक अन्य पोस्ट में इस फैसले के पीछे के तर्क पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिहार में सहनी समाज की आबादी सिर्फ़ 4 फ़ीसदी है (हालांकि पूरे निषाद समाज की आबादी 8-9% है), और मुकेश सहनी की अपने समाज में कोई खास पकड़ नहीं है। इसके बावजूद उन्हें डिप्टी सीएम का चेहरा बनाया गया है।
'मुसलमानों की वफ़ादारी 100 फ़ीसदी, फिर भी जगह नहीं'
AIMIM नेता ने आरोप लगाया कि मुसलमानों की वफ़ादारी आरजेडी के साथ 100 फ़ीसदी रही है, इसके बावजूद उनकी पार्टी (AIMIM) के साथ कोई गठबंधन नहीं किया गया। उन्होंने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि मुस्लिम समाज तो स्टेज पर पहली लाइन में भी जगह नहीं पा सकता, मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री बनने का तो सिर्फ़ ख़्वाब ही देख सकता है। एक अन्य सोशल मीडिया बहस में शौकत अली ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए लिखा, "हमें शिकायत उनसे है जिसे हमने झोली भर वोट दिया, बदले में हमें जीने के लिये दलित से बदतर जिंदगी दी।"
सीमांचल में AIMIM की सक्रियता
बता दें कि बिहार में मुस्लिम आबादी करीब 17.7 प्रतिशत है और सीमांचल के किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जैसे जिलों में यह मतदाता निर्णायक भूमिका में है। 2020 के पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM ने इन्हीं इलाकों में पांच सीटें जीतकर बिहार की राजनीति में अपनी मजबूत पहचान बनाई थी। आगामी चुनाव में पार्टी एक बार फिर इन क्षेत्रों में पूरी तरह से सक्रिय है और महागठबंधन के इस फैसले ने उसे मुस्लिम वोटरों के बीच अपनी पैठ बनाने का नया मुद्दा दे दिया है।
