अमौर विधानसभा सीट एक मुस्लिम-बहुल क्षेत्र है, जो ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस का गढ़ (8 जीत) रहा है। 2020 में AIMIM के अख्तरुल इमान ने यहां जीत दर्ज की। 2025 में भी उन्होंने JDU की सबा जफर को 38928 वोटों से हराया।
Amour Assembly Election 2025: अमौर विधानसभा सीट, पूर्णिया जिले का वह इलाका है जो किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में आता है। यह सीट बिहार की राजनीति में हमेशा सुर्खियों में रही है क्योंकि यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। यही वजह है कि हर चुनाव में यह सीट बेहद अहम हो जाती है। कांग्रेस का इस सीट पर लंबा दबदबा रहा है और अब तक आठ बार पार्टी यहां से जीत चुकी है। लेकिन 2020 में AIMIM ने यहां इतिहास रच दिया और अख्तरुल इमान ने शानदार जीत दर्ज कर सबको चौंका दिया। अब 2025 चुनाव में एक बार फिर इस सीट पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के उम्मीदवार अख्तरुल इमान जीत गए हैं। उन्हें 100836 वोट मिले। उन्होंने 38928 से ज्यादा वोटो सें जनता दल (यूनाइटेड) की उम्मीदवार सबा जफर को हराया। सबा जफर को 61908 के करीब वोट मिले।
अमौर विधानसभा का चुनावी इतिहास
- 2010 में भाजपा के सबा जफर ने कांग्रेस को हराकर जीत हासिल की थी।
- 2015 में कांग्रेस के अब्दुल जलील मस्तान ने 1 लाख से अधिक वोट लेकर जीत हासिल कर छठवीं बार विधायक बनने का रिकॉर्ड बनाया।
- 2020 में AIMIM के अख्तरुल इमान ने बड़ा उलटफेर करते 94,459 वोट पाकर जीत दर्ज की।
नोट : यहां से अब तक कांग्रेस 8 बार जीत चुकी है, जबकि भाजपा और AIMIM को भी जीत का स्वाद मिल चुका है।
अमौर विधानसभा चुनाव परिणाम (Election Results)
2020 का चुनाव
- 1. अख्तरुल इमान (AIMIM)- 94,459 वोट
- 2. सबा जफर (JDU)- 41,944 वोट
- 3. अब्दुल जलील मस्तान (INC)-31,863 वोट
AIMIM ने यहां पहली बार जीत दर्ज की और कांग्रेस व जदयू को पीछे छोड़ दिया।
नोट: अख्तरुल इमान पर आठ आपराधिक केस दर्ज है। पोस्टग्रेजुएट अख्तरुल के पास Rs 74,14,055 की चल अचल संपत्ति है। उन पर Rs 7,99,235 रुपए का कर्जा भी है।
2015 का चुनाव
- 1. अब्दुल जलील मस्तान (INC)-1,00,135 वोट
- 2. सबा जफर (BJP)-48,138 वोट
- कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की।
2010 का चुनाव
- 1. सबा जफर (BJP)-57,774 वोट
- 2. अब्दुल जलील मस्तान (INC)- 38,946 वोट
- भाजपा ने पहली बार यहां परचम लहराया।
क्यों खास है अमौर विधानसभा सीट?
- 1. मुस्लिम बहुल सीट, इसलिए वोट बैंक अहम भूमिका निभाता है।
- 2. यादव और अन्य समुदायों की भी अच्छी-खासी संख्या है।
- 3. AIMIM, RJD, कांग्रेस और जदयू-भाजपा के बीच त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला संभव।
- 4. कांग्रेस का ऐतिहासिक दबदबा रहा है लेकिन 2020 में AIMIM ने सबको चौंकाया था, 2025 में फिर सरप्राइज मिल सकता है।
- 5. एनडीए (जदयू-भाजपा) भी इस सीट को दोबारा पाने की कोशिश में जुटा रहेगा।
