बिहार के बाहुबली नेता अशोक महतो, जो 90 के दशक में जातीय हिंसा और जेल ब्रेक के लिए जाने जाते थे, अब RJD में हैं। हाल ही में उन्हें तेजस्वी यादव से मिलने से रोका गया। वो अपनी पत्नी के लिए टिकट चाहते हैं। 

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही राजनीतिक हलचल बढ़ गई है। इसी बीच आरजेडी के बाहुबली नेता अशोक महतो की चर्चा सुर्खियों में है। गुरुवार की रात वे राबड़ी आवास पहुंचे, लेकिन गार्ड ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया और अशोक महतो खाली हाथ लौट आए। लेकिन सवाल यह है कि अशोक महतो कौन हैं और क्यों वे बिहार की राजनीति में इतना विवादास्पद चेहरा बने हुए हैं?

90 के दशक में उभरे बाहुबली

अशोक महतो का राजनीतिक सफर विवादों से भरा रहा है। नवादा जिले के बढ़ौना गांव के रहने वाले महतो ने 90 के दशक में बिहार के भूमिहार क्षेत्रों में अपनी ताकत दिखाई। इस दौरान उनके और अखिलेश सिंह के गैंग्स के बीच वर्चस्व की लड़ाई ने कई हत्याओं और जातीय हिंसा को जन्म दिया। अशोक महतो बिहार के नवादा, शेखपुर, लखीसराय और नालंदा सहित पांच जिलों में कभी आतंक का पर्याय माना जाता था.

जेल ब्रेक का मामला

2001 में नवादा जेल ब्रेक कांड में अशोक महतो को 17 साल की सजा हुई। जेल में रहते हुए भी उनका नाम बिहार में भय और ताकत का पर्याय माना जाता था। जेल से रिहाई के बाद उन्होंने धीरे-धीरे राजनीतिक सियासत में वापसी की।

राजनीतिक करियर और आरजेडी

जेल से रिहा होने के बाद अशोक महतो ने आरजेडी के नेतृत्व से मुलाकात की और पार्टी के भीतर अपनी स्थिति मजबूत करने लगे। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने दिल्ली की रहने वाली अनीता देवी से खरमास के दौरान उन्होंने विवाह किया था और कुछ ही दिनों बाद लालू यादव से आशीर्वाद लेने भी पहुंचे थे। वे चाहते थे कि उनकी पत्नी अनिता देवी वारिसलीगंज से चुनाव लड़ें। लोकसभा चुनाव 2024 में अनिता देवी को उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन वे जीत नहीं पाईं।

बाहुबली से नेता तक

अशोक महतो का व्यक्तित्व विवादास्पद होते हुए भी प्रभावशाली है। वारिसलीगंज क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है। उनके राजनीतिक सफर में वफादारी, गुटबाजी, और इमेज का खेल देखने को मिला है। इस बार विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के नए समीकरणों में अशोक महतो की भूमिका अहम मानी जा रही है।

राबड़ी आवास में क्यों नहीं मिली एंट्री? 

गुरुवार की रात जब अशोक महतो तेजस्वी यादव से मिलने राबड़ी आवास गए और उन्हें अंदर प्रवेश नहीं मिला, तो यह संकेत माना जा रहा है कि आरजेडी के भीतर अब सक्रियता और जनसंपर्क को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है। बाहुबली चेहरे और पुराने प्रभाव के बावजूद पार्टी नई रणनीति के तहत टिकट वितरण कर रही है। अशोक महतो बिहार की राजनीति में बाहुबली से नेता बने एक विवादास्पद चेहरा हैं। जेल ब्रेक, जातीय हिंसा और राजनीतिक गुटबाज़ी से लेकर अब उनकी पत्नी के चुनावी अभियान तक, उनका सफर लगातार सुर्खियों में रहा है।