सीतामढ़ी ज़िले की बाजपट्टी विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा के रामेश्वर कुमार मेहता ने जीत हासिल की। उन्हें 99,000 से ज़्यादा वोट मिले। इस कड़े मुकाबले वाले क्षेत्र में मतदाताओं ने रामेश्वर मेहता का भारी समर्थन किया।
Bajpatti Assembly Election 2025: बिहार के सीतामढ़ी जिले की बाजपट्टी विधानसभा सीट (Bajpatti Vidhan Sabha) पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा,प्रत्याशी ने हासिल की जीत। रामेश्वर कुमार मेहतो जीते। 99 हजार से अधिक वोट मिले।
2010 का चुनाव-जदयू की पहली जीत
2010 में जदयू (JDU) की प्रत्याशी डॉ. रंजू गीता ने 44,726 वोट हासिल किए और जीत दर्ज की। उन्होंने आरजेडी प्रत्याशी मोहम्मद अनवरुल हक़ को हराया, जिन्हें 41,306 वोट मिले।
- जीत का अंतर-3,420 वोट।
नोट: यह जीत बहुत ज्यादा अंतर से नहीं थी, लेकिन इसने जदयू के लिए मजबूत नींव रख दी।
2015 का चुनाव-रंजू गीता की लगातार दूसरी जीत
2015 में फिर से जदयू ने बाजी मारी। इस बार भी डॉ. रंजू गीता मैदान में थीं। उन्हें 67,194 वोट मिले। जबकि उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी रेखा कुमारी (BLSP) को 50,248 वोट मिले।
- जीत का अंतर-16,946 वोट।
नोट: इस चुनाव में जदयू को लगभग 43.3% वोट शेयर मिला। लगातार दूसरी जीत ने यह साबित कर दिया कि उस समय बाजपट्टी में जदयू का दबदबा काफी मजबूत था।
2020 का चुनाव- RJD की शानदार वापसी
2020 में बाजपट्टी विधानसभा ने बड़ा उलटफेर किया। इस बार आरजेडी (RJD) प्रत्याशी मुकेश कुमार यादव ने जदयू की दिग्गज नेत्री डॉ. रंजू गीता को हरा दिया।
- मुकेश यादव (RJD)-71,483 वोट (40.21%)
- डॉ. रंजू गीता (JDU)-68,779 वोट
- जीत का अंतर-2,704 वोट।
नोट: यह मुकाबला बेहद करीबी रहा। खास बात यह रही कि जदयू के लंबे दबदबे के बाद यहां RJD ने अपनी पैठ बनाई और यादव समुदाय के साथ-साथ अल्पसंख्यक मतदाताओं का समर्थन हासिल किया।
नोट: आरजेडी नेता मुकेश कुमार यादव दो आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। ग्रेजुएट तक पढ़ाई कराने वाले मुकेश कुमार यादव के पास कुल चल-अचल संपत्ति 1.34 करोड़ रुपए व 1.63 लाख रुपए का लोन है।
बदलता वोट शेयर और 2025 का समीकरण
- 2010 में JDU को 38.52% वोट मिले।
- 2015 में JDU का वोट शेयर बढ़कर 43.3% हुआ।
- 2020 में RJD को 40.21% वोट मिले और JDU पिछड़ गई।
खास बात: इन आंकड़ों से साफ है कि बाजपट्टी में राजनीतिक संतुलन बदल रहा है। अब सवाल यह है कि 2025 में क्या RJD लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करेगी या फिर जदयू वापसी कर पाएगी?
