भभुआ विधानसभा चुनाव 2025: क्या इस बार RJD फिर दोहराएगी जीत या BJP पलट देगी समीकरण? जातीय गणित, वोट शेयर और उम्मीदवारों की ताकत से भरे इस मुकाबले में कौन होगा विजेता? पूरा विश्लेषण पढ़ें!
Bhabua Assembly Election 2025: भभुआ विधानसभा सीट (Bhabua Assembly Seat) बिहार के कैमूर जिले में स्थित है और यह राज्य की राजनीति में बेहद अहम मानी जाती है। इस सीट का गठन परिसीमन के बाद हुआ था। यहां यादव, राजपूत, कुर्मी और पिछड़ी जातियों का बड़ा वोट बैंक है, जो हर बार चुनावी समीकरण को बदल देता है। भभुआ विधानसभा चुनाव 2025 (Bhabua Assembly Election 2025) में इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प होने वाला है क्योंकि पिछले तीन चुनावों के नतीजे अलग-अलग दलों के पक्ष में गए हैं।
भभुआ विधानसभा चुनाव 2010: लोजपा का चमकता सितारा
2010 के चुनाव में डॉ. प्रमोद कुमार सिंह (LJP) ने 31,246 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। उन्होंने आनंद भूषण पांडे (BJP) को 447 वोटों के बेहद छोटे अंतर से हराया था। यह मुकाबला इतना करीबी था कि दोनों दलों के बीच वोटों की गिनती चर्चा का विषय बन गई थी।
भभुआ विधानसभा चुनाव 2015: भाजपा की वापसी
2015 में आनंद भूषण पांडे (BJP) ने 50,768 वोट पाकर जीत दर्ज की। इस बार उन्होंने डॉ. प्रमोद कुमार सिंह (JDU) को 7,744 वोटों के अंतर से हराया। इस जीत ने साबित किया कि भाजपा का जनाधार यहां मजबूत हो रहा है।
भभुआ विधानसभा चुनाव 2020: आरजेडी की धमाकेदार जीत
2020 में समीकरण फिर से बदल गए। इस बार भारत बिंद (RJD) ने 57,561 वोटों के साथ जीत दर्ज की। उन्होंने भाजपा की रिंकी रानी पांडे को 10,045 वोटों से हराया। तीसरे स्थान पर वीरेंद्र कुमार सिंह (RLSP) रहे जिन्हें 37,014 वोट मिले। इस बार का चुनाव जातीय समीकरण और स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित था।
नोट: आरजेडी विधायक भारत बिंद 10वीं पास हैं। उन पर चार मुकदमे चल रहे हैं। उनकी कुल संपत्ती 84 लाख रुपए हैं लेकिन उन पर कोई बकाया नहीं है।
भभुआ विधानसभा का सामाजिक और राजनीतिक समीकरण
भभुआ विधानसभा क्षेत्र हमेशा से जातीय राजनीति का गढ़ रहा है। यादव, कुर्मी और राजपूत यहां बड़ी संख्या में हैं। यही वजह है कि RJD, BJP और JDU जैसी पार्टियां हर बार अलग-अलग रणनीति अपनाती हैं। विकास, रोजगार और शिक्षा यहां के प्रमुख चुनावी मुद्दे रहे हैं।
भभुआ विधानसभा चुनाव 2025: किसके पाले में जाएगी सीट?
2025 का चुनाव बेहद अहम होगा। राजद अपनी पिछली जीत को दोहराना चाहेगी, भाजपा वापसी के मूड में है और छोटे दल जैसे जेडीयू व अन्य पार्टियां समीकरण बिगाड़ सकती हैं। जातीय गणित और उम्मीदवार का चेहरा इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
