समस्तीपुर ज़िले में वामपंथियों का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट पर 2025 के विभूतिपुर विधानसभा चुनाव में सीपीएम के अजय कुमार ने जीत हासिल की। मतदाताओं ने उनका समर्थन किया और उन्हें विजयी बनाया।
Bibhutipur Assembly Election 2025: विभूतिपुर विधानसभा (Bibhutipur Assembly Election 2025) समस्तीपुर जिले की यह सीट वामपंथी राजनीति का गढ़ मानी जाती रही है। इस साट पर सीपीएम (CPIM) अजय कुमार ने झंडा लगराया है।
2010, 2015 और 2020 के चुनाव परिणाम
- 2010 चुनाव: जदयू के राम बालक सिंह ने 46,469 वोट पाकर सीपीएम के रामदेव वर्मा (34,168 वोट) को हराया।
- 2015 चुनाव: राम बालक सिंह ने फिर जीत दोहराई। उन्हें 57,882 वोट मिले जबकि सीपीएम के रामदेव वर्मा को 40,647 वोट मिले। जीत का अंतर 17,235 वोट था।
- 2020 चुनाव: इस बार समीकरण पलटा और सीपीएम के अजय कुमार ने बड़ी जीत दर्ज की। उन्हें 73,822 वोट मिले जबकि जदयू के रामबालक सिंह को केवल 33,326 वोट मिले। लोजपा के चंद्रबली ठाकुर 28,811 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
नोट: पोस्ट ग्रेजुएट विधायक अजय कुमार पर तीन आपराधिक केस दर्ज हैं। उनकी कुल संपत्ति करीब एक करोड़ रुपए है और उन पर 50 हजार का कर्जा भी है।
जातीय समीकरण और वोटर प्रोफाइल
विभूतिपुर विस सीट पर यादव, पासवान, भूमिहार और अतिपिछड़ा मतदाताओं का बड़ा असर है। यहीं समीकरण तय करते हैं कि सत्ता की चाबी किसे मिलेगी। वाम दलों का कोर वोट बैंक अब भी गरीब तबकों और खेतिहर मजदूरों में मजबूत माना जाता है, जबकि जदयू और एनडीए ने यहां ऊपरी जातियों और पिछड़े वर्ग के सहारे राजनीति खड़ी की।
विभूतिपुर विधानसभा के स्थानीय मुद्दे और मतदाता की प्राथमिकताएं
यह क्षेत्र शिक्षा और बेरोजगारी से सबसे ज्यादा प्रभावित है। युवाओं को पढ़ाई और नौकरी के लिए पटना और बाहर के शहरों की ओर जाना पड़ता है। किसानों की कर्ज और सिंचाई की समस्या चुनावी मुद्दा बनती है। स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और सड़क कनेक्टिविटी भी अहम चुनौती हैं।
विभूतिपुर विधानसभा पर बूथ मैनेजमेंट और रणनीति
इस सीट पर करीब 350 से अधिक बूथ हैं। वाम दल अपनी मजबूत कैडर लाइन और कार्यकर्ताओं की वजह से बूथ स्तर तक पैठ रखते हैं। यही कारण है कि 2020 में सीपीएम ने फिर जीत की वापसी की। जदयू और भाजपा का बूथ मैनेजमेंट यहां अपेक्षाकृत कमजोर माना जाता है।
विभूतिपुर विधानसभा सीट का ऐतिहासिक महत्व
अब तक विभूतिपुर सीट पर 13 चुनाव हो चुके हैं। इनमें 6 बार CPM, 3 बार कांग्रेस, 2 बार JDU, 1 बार CPI और 1 बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी जीती है। कांग्रेस आखिरी बार 1985 में यहां जीती थी। बीजेपी को अब तक इस सीट से जीत नसीब नहीं हुई है।
