बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए महागठबंधन में सीट शेयरिंग फॉर्मूला तय नहीं हुआ है। इस बीच ऐसी जानकारी सामने आई है कि कांग्रेस 60 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। राजद नेता तेजस्वी यादव राघोपुर से चुनावी मैदान में उतरेंगे।

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। एनडीए में सीटों का बंटवारा हो गया है। वहीं, महागठबंधन में अभी तक औपचारिक रूप से तय नहीं है कि कौन सी पार्टी कितने सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी।

60 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है कांग्रेस

इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राजद और कांग्रेस के बीच लगभग सभी सीटों पर सीट बंटवारे पर बातचीत हो गई है। कुछ सीटों पर दोनों पार्टी ने दावा किया है। उनपर अभी बातचीत होनी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कांग्रेस 60 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ सीटों के बंटवारे पर बातचीत लगभग पूरी हो चुकी है। दो-तीन सीटों पर बातचीत चल रही है। आधिकारिक घोषणा मंगलवार को होने की संभावना है।

राघोपुर से चुनाव लड़ेंगे तेजस्वी यादव

राजद नेता तेजस्वी यादव वैशाली जिले का राघोपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले हैं। वह 15 अक्टूबर को यहां से नामांकन कराएंगे। उनके समर्थकों ने पोस्टर शेयर कर लोगों से नामांकन समारोह में शामिल होने का आग्रह किया है।

राघोपुर सीट बिहार की सबसे हॉट सीटों में से एक है। यह सीट यादव परिवार के लिए गहरा प्रतीकात्मक और राजनीतिक महत्व रखती है। इसे लालू परिवार का गढ़ माना जाता है। राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कई बार राघोपुर का प्रतिनिधित्व किया है। उनके बेटे तेजस्वी यादव वर्तमान में इस सीट से विधायक हैं। 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी को यहां जीत मिली थी।

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राघोपुर से चुनाव लड़ सकते हैं प्रशांत किशोर

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के भी राघोपुर से चुनाव लड़ने की संभावना चर्चा है। कहा जा रहा है कि प्रशांत तेजस्वी को उनके गृह क्षेत्र में चुनौती दे सकते हैं। शनिवार को राघोपुर में किशोर ने कहा कि वे अपनी पार्टी की केंद्रीय समिति द्वारा सूची को अंतिम रूप देने से पहले "लोगों से मिलेंगे और उनके विचार जानेंगे"। उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर तेजस्वी चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उन्हें दो सीटों से चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। इस स्थिति की तुलना 2019 में अमेठी में राहुल गांधी की हार से की।

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