सार
बिहार में 15 दिनों में 10 पुलों के ढहने के बाद नीतीश कुमार की सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। इस संबंध में जल संसाधन विभाग के सोलह इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया है।
Bihar bridge collapse: पटना। बिहार में लगातार पुल गिरने की घटनाओं पर नीतीश सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। विभागीय उड़नदस्ता संगठन की जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि नदी जोड़ योजना के तहत कराए जा रहे कार्य की तकनीकी मॉनीटरिंग नहीं की गई। इंजीनियर्स द्वारा नदी पर बने पुल-पुलिया को सुरक्षित रखे जाने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए। संवेदक के स्तर पर भी लापरवाही बरती गई। पूरे प्रकरण में जल संसाधन विभाग के 2 कार्यपालक अभियंताओं समेत 16 इंजीनियर्स को सस्पेंड किया गया है।
जल संसाधन विभाग के ये अभियंता हुए सस्पेंड
- अमित आनन्द, कार्यपालक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, सिवान।
- कुमार ब्रजेश, कार्यपालक अभियंता, जल निस्सरण प्रमंडल, सिवान।
- राजकुमार, सहायक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, सिवान।
- चन्द्रमोहन झा, सहायक अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, सिवान।
- सिमरन आनन्द, सहायक अभियंता, जल निस्सरण प्रमंडल, सिवान।
- नेहा रानी, सहायक अभियंता, जल निस्सरण प्रमंडल, सिवान।
- माजिद, कनीय अभियंता, जल निस्सरण प्रमंडल, सिवान।
- रवि कुमार रजनीश, कनीय अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, सिवान।
- रफीउल होदा अंसारी, कनीय अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, सिवान।
- रतनेश गौतम, कनीय अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, सिवान।
- प्रभात रंजन, कनीय अभियंता, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल, सिवान।
बिहार राज्य में गुरुवार (4 जुलाई) को सारण जिले से 10वां पुल ढहने की खबर सामने आई थी। ये बीते 24 घंटे के अंदर सारण जिले में पुल गिरने का तीसरा मामला था। बिहार में जो 10 पुल अब तक गिरे हैं, वो सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिलों के थे।बिहार में अब तक जो पुल टूटने की घटना सामने आई है उसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों चुप हैं। हालांकि, नीतीश कुमार ने बुधवार को एक समीक्षा बैठक की थी। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों को सभी पुराने पुलों का सर्वेक्षण करने और उन पुलों की पहचान करने का निर्देश दिया था।
ये भी पढ़ें: ये क्या हो रहा है बिहार में? एक के बाद एक 10वें पुल ने ली नदी में समाधि, जानें आखिर कहां हुई घटना?
बिहार में पुल गिरने का सिलसिला
बिहार में सबसे पहला पुल बीते महीने 18 जून को गिरा था। इसके बाद लगातार अंतराल पर 12 पुल गिर गए। वहीं बीते 3 जुलाई को मात्र 1 दिन में 5 पुल गिर गए। इसकी वजह से पूरे सरकारी महकमे में हड़कंप मच गया था। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक मात्र 2012 से लेकर 2021 तक पूरे देशभर में 214 पुल धराशायी हो चुके हैं, इसमें अब तक 285 लोगों की मौत हो चुकी है।
सरकार का दावा—9 पुल-पुलिया हुए ध्वस्त
नीतीश सरकार का दावा है कि बीते दिनों में राज्य के विभिन्न जिलों में कुल 9 पुल-पुलिया ध्वस्त हुए हैं। उनमें से 6 पुल-पुलिया बहुत पुरानी और 03 निर्माणाधीन थी। 03-04 जुलाई को सिवान और सारण जिलों में छाड़ी/गंडकी नदी पर बने 06 पुल-पुलिया ध्वस्त हुए।
बिहार में पुल गिरने की वजह क्या?
जल संसाधन विभाग द्वारा गोपालगंज, सिवान और सारण जिलों से निकलने वाली नदियों के प्रवाह को बनाए रखने के लिए नदी जोड़ योजना और जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत गंडक-अकाली नाला(छाड़ी)-गंडकी-माही-गंगा नदी जोड़ योजना पर काम चल रहा है। जिसकी लागत रु0 69.89 करोड़ है। लगभग 170 किमी लंबाई, 19 मीटर चौड़ाई और 3 मीटर औसत गहराई में गाद निकासी कराई जानी है। मार्च 2025 तक योजना को पूरा किया जाना है।
जांच में सामने आईं ये गड़बड़ियां
लगातार पुल गिरने की घटनाओं के बाद मामले की जांच विभागीय उड़नदस्ता संगठन को जांच सौंपी गई थी। जिसमें समाने आया है कि कार्य के दौरान संबंधित इंजीनियर्स द्वारा पुल-पुलिया को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी कदम नहीं उठाए गए। तकनीकी पर्यवेक्षण तक नहीं किया गया। संवदेक स्तर पर भी लापरवाही हुई।
संवदेक Risk & Cost पर बनेंगे नये पुल
पुलों के गिरने की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कार्यकारी संवेदक का किसी भी तरह का भुगतान अगले आदेश तक रोक दिया गया है। यह निर्णय गंडक-अकाली नाला (छाड़ी)-गंडकी-माही-गंगा नदी जोड़ योजना के समझौते के तहत लिया गया है। साथ ही पुलों के निर्माण के लिए बिहार राज्य पुल निर्माण निगम, पटना से इस्टीमेट तलब किया गया है। क्षतिग्रस्त पुलों की जगह पर नये पुलों का निर्माण कार्यकारी संवेदक के Risk & Cost पर किया जाएगा।
एक्शन में ग्रामीण कार्य विभाग
पुल गिरने की घटना पर ग्रामीण कार्य विभाग भी एक्शन में आया। 18 जून को अररिया में पुलिया क्षतिग्रस्त हुई थी। तब, ग्रामीण कार्य विभाग, पूर्णिया के चीफ इंजीनियर, निर्मल कुमार की अध्यक्षता में 4 सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई थी। जांच के दौरान निर्माण कार्य में अभियंताओं की लापरवाही उजागर हुई है। नतीजतन, ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, अंजनी कुमार के साथ मौजूदा कार्यपालक अभियंता वीरेन्द्र प्रसाद को भी सस्पेंड किया गया है। इसके अलावा तत्कालीन कनीय अभियंता मनीष कुमार और वर्तमान कनीय अभियंता को भी निलंबित किया गया है।
वसूली होगी, ब्लैकलिस्टेड होगा संवदेक
ग्रामीण कार्य विभाग ने संबंधित संवेदक के सभी कामों के लंबित भुगतान पर रोक लगा दी है। भुगतान की वसूली की जाएगी और फर्म को काली सूची में डाला जा रहा है। संबंधित कंसलटेंट पर भी कार्रवाई की जा रही है। दोषी संवदेक के खिलाफ बिहार ठेकेदार नियमावली के तहत कार्रवाई होगी।
असामाजिक तत्वों ने क्षतिग्रस्त किया निर्माणाधीन पुल
23 जून को पूर्वी चम्पारण घोड़ासहन प्रखण्ड के PMSSY-3 के तहत निर्माणाधीन पुल क्षतिग्रस्त हुआ था। जानकारी के अनुसार असामाजिक तत्वों द्वारा पुल की शटरिंग के साथ निर्माणाधीन पुल को क्षतिग्रस्त किया जाना सामने आया है। इस संबंध में घोड़ासाहन पुलिस थाना में केस दर्ज किया गया है। संबंधित कनीय अभियंता एवं सहायक अभियंता के विरूद्ध निलंबन की कार्रवाई की जा रही है।
ठेकेदार अपने खर्चे पर बनाएगा नया गर्डर
26 जून को मधुबनी में निर्माणाधीन पुल का एक गार्डर ध्वस्त हो गया था। अधीक्षण अभियंता, ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य अंचल, मधुबनी की अध्यक्षता में गठित 04 सदस्यीय कमेटी ने मामले की जांच की। इस प्रकरण में इंजीनियरों की तरफ से ठेकेदार को जून के पहले सप्ताह में मानसून के बाद पुल निर्माण कार्य किए जाने का निर्देश दिया गया था, जिसका पालन ठेकेदार द्वारा नहीं किया गया। उससे स्पष्टीकरण मांगा गया है। ठेकेदार द्वारा Risk & Cost के आधार पर पुल का नया गर्डर बनाया जाएगा। निर्माण कार्य की मॉनीटरिंग में कमी पाए जाने पर संबंधित कनीय अभियंता, पवन कुमार राम के विरूद्ध कार्रवाई की जा रही है।
ये भी पढ़ें: मोदी सरकार को लेकर लालू प्रसाद यादव ने की बड़ी भविष्यवाणी, पढ़िए क्या कुछ बताया