ADR रिपोर्ट: बिहार चुनाव के पहले चरण के 32% उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले हैं, जिनमें 27% पर गंभीर आरोप हैं। 40% उम्मीदवार करोड़पति हैं, जबकि महिला उम्मीदवार केवल 9% हैं।
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण से पहले एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और बिहार इलेक्शन वॉच ने उम्मीदवारों के शपथ पत्रों का विश्लेषण जारी किया है। इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पहले चरण में मैदान में उतरे 1303 उम्मीदवारों में से 423 (32%) उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जबकि 354 उम्मीदवारों (27%) ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक धाराओं वाले मामले घोषित किए हैं।
हत्या से लेकर बलात्कार तक के आरोप
ADR की रिपोर्ट बताती है कि इन उम्मीदवारों में से 33 उम्मीदवारों ने हत्या से संबंधित मामले, जबकि 86 ने हत्या के प्रयास से जुड़े मामले अपने शपथ पत्र में घोषित किए हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों से जुड़े मामले 42 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर बताए हैं, और 2 उम्मीदवारों ने खुद पर बलात्कार के आरोपों का खुलासा किया है।
पार्टीवार आपराधिक रिकॉर्ड
रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार की प्रमुख पार्टियों में कई उम्मीदवारों पर गंभीर केस दर्ज हैं।
- RJD: 70 उम्मीदवारों में से 53 (76%) के खिलाफ आपराधिक मामले
- BJP: 48 में से 31 (65%)
- JDU: 57 में से 22 (39%)
- कांग्रेस: 23 में से 15 (65%)
- जनसुराज पार्टी: 114 में से 50 (44%)
- बीएसपी: 89 में से 18 (20%)
- आप: 44 में से 12 (27%)
- सीपीआई(एमएल): 14 में से 13 (93%)
- सीपीआई: 5 में से सभी 5 (100%)
- सीपीआई(एम): 3 में से सभी 3 (100%)
- लोजपा (रामविलास): 13 में से 7 (54%)
स्पष्ट है कि किसी भी दल की छवि “साफ-सुथरी राजनीति” वाली नहीं रह गई है।
519 उम्मीदवार हैं करोड़पति
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पहले चरण में चुनाव लड़ने वाले 519 उम्मीदवार (40%) करोड़पति हैं। औसतन हर उम्मीदवार की संपत्ति ₹3.26 करोड़ बताई गई है। इससे साफ है कि बिहार की राजनीति में अब “गरीब का नेता” वाली छवि धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है।
शिक्षा का स्तर
1303 में से 519 (40%) उम्मीदवारों की शैक्षिक योग्यता 5वीं से 12वीं के बीच है। वहीं 651 उम्मीदवार (50%) स्नातक या उससे ज्यादा पढ़े-लिखे हैं। मतलब, उम्मीदवारों में शिक्षा का औसत स्तर बेहतर दिख रहा है, लेकिन चरित्र पर सवाल अब भी कायम हैं।
सिर्फ 9% महिला उम्मीदवार
पहले चरण में सिर्फ 9% महिलाएं मैदान में हैं, यानी अभी भी बिहार की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी बेहद सीमित है।
अपराध और राजनीति का गठजोड़ जारी
ADR की यह रिपोर्ट एक बार फिर बिहार की राजनीति पर गंभीर सवाल खड़े करती है। जहां एक तरफ जनता विकास और रोजगार की बात चाहती है, वहीं टिकट वितरण में दलों ने “क्लीन इमेज” को तरजीह देने के बजाय “विनिंग फैक्टर” को प्राथमिकता दी है। राजनीति में अपराधियों का बढ़ता प्रभाव यह दिखाता है कि बिहार में चुनाव सिर्फ विचारों का नहीं, बल्कि “वोट बैंक बनाम बदनामी” का खेल बन गया है।
