बिहार चुनाव 2025 से पहले लोजपा (रामविलास) ने चिराग पासवान को ‘बिहार का कोहिनूर’ बताकर उन्हें मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की राजनीति तेज कर दी है। पोस्टर पॉलिटिक्स से पार्टी सीट बंटवारे में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे पटना की सियासी फिज़ा में नया रंग चढ़ता जा रहा है। राजधानी के वीरचंद पटेल पथ पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की पोस्टर पॉलिटिक्स ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए पोस्टर में पार्टी सुप्रीमो चिराग पासवान को ‘बिहार का कोहिनूर’ बताते हुए साफ लिखा गया है, “बिहार मांगे चिराग, तन बदन का नूर है, चिराग बिहार का कोहिनूर है।” यह स्लोगन न सिर्फ पार्टी कार्यकर्ताओं की जोश दिखाई देता है, बल्कि चिराग को बिहार के भावी मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने की मंशा भी उजागर करता है। यह पोस्टर लोजपा (रा) के जिला अध्यक्ष इमाम गजाली द्वारा लगवाया गया है।

'बिहार का कोहिनूर' टैग लाइन

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि चिराग पासवान को 'कोहिनूर' की टैगलाइन देना सिर्फ इमेज बिल्डिंग नहीं, बल्कि एनडीए में सीट बंटवारे की बातचीत में दबाव बढ़ाने की रणनीति भी है। खुद चिराग एलान कर चुके हैं कि वे कम से कम 40 सीटों की हिस्सेदारी चाहते हैं। लोकसभा में सभी 5 सीटों की धमाकेदार जीत के बाद, अब एलजेपी (रा) खुद को बिहार में किंगमेकर या किंग दोनों की भूमिका में पेश करने की कोशिश कर रही है। बड़ा सवाल यही है कि भाजपा और अन्य एनडीए दल इस मांग के आगे झुकेंगे या लोजपा (रा) एक बार फिर अकेले चुनावी समर में उतरेगी?

अकेले चुनाव लड़ने का भरोसा, 2020 के अनुभव की नजीर

इससे पहले पार्टी के सांसद अरुण भारती ने भी सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के माध्यम से साफ कहा कि लोजपा (रा) के कार्यकर्ता ही पार्टी की असली ताकत हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़कर 6% वोट शेयर जुटाना ही यह दिखाता है कि एलजेपी (रा) बिहार की बड़ी राजनीतिक ताकत बन गई है। उनका दावा है कि अगर उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारती, तो वोट शेयर 10% के पार चला जाता।