बिहार चुनाव 2025 में सीमांचल ने AIMIM को बड़ा झटका दिया है। पांच से घटकर सिर्फ दो सीटों पर आगे, जबकि NDA 18 सीटों पर मजबूत बढ़त में। मुस्लिम बेल्ट में AIMIM का प्रभाव तेजी से खत्म होता दिख रहा है।
पटना। बिहार चुनाव 2025 के रुझानों ने सबसे बड़ा झटका असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को दिया है। जिस सीमांचल क्षेत्र को AIMIM अपनी राजनीतिक ताकत की रीढ़ मानती थी, वहीं इस बार पार्टी का ग्राफ तेजी से नीचे गिरता दिख रहा है। 2020 में यहां पांच सीटों पर शानदार जीत मिली थी, लेकिन 2025 में वही सीटें AIMIM के लिए बड़ी मुश्किलें लेकर आई हैं। सुबह 10:40 बजे तक के रुझानों के अनुसार AIMIM पूरे सीमांचल में सिर्फ दो सीटों पर आगे है। यह गिरावट पार्टी की राजनीतिक भविष्य की दिशा को लेकर गंभीर सवाल उठाती है। सीमांचल-अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया-कुल 24 विधानसभा सीटों वाला इलाका है जहां राज्य की बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है। AIMIM का वोटबैंक का सबसे मजबूत आधार यही रहा है। लेकिन इस बार की तस्वीर बिल्कुल अलग है।
सीमांचल में AIMIM का ग्राफ अचानक क्यों गिरा?
AIMIM कटिहार की बलरामपुर और पूर्णिया की बैसी सीट पर आगे चल रही है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि बलरामपुर वह सीट नहीं है जहाँ पार्टी ने 2020 में जीत दर्ज की थी। इसके उलट अमौर, बहादुरगंज, जोकीहाट और कोचाधामन-चारों सीटें जहाँ AIMIM की पिछली जीत हुई थी-इस बार पार्टी पीछे चल रही है। सबसे बड़ा झटका यह है कि अमौर सीट से AIMIM के मजबूत चेहरे अख्तरुल ईमान भी हारते दिख रहे हैं। यह संकेत है कि पिछले पांच साल में सीमांचल की राजनीति में बड़ा बदलाव आया है।
क्या मुस्लिम वोट AIMIM से दूर हो गए?
सीमांचल मुस्लिम बहुल इलाका है, जहाँ 2020 में AIMIM को मजबूत समर्थन मिला था। लेकिन इस बार वोटों का झुकाव दूसरी तरफ जाता दिख रहा है। क्या यह एनडीए की मजबूत रणनीति है? या MGB की सीटों पर स्थानीय समीकरण बदल गया है? यह सवाल अब चुनाव विश्लेषकों के सामने बड़ी पहेली बन गया है।
NDA कैसे सीमांचल में रिकॉर्ड बढ़त पर पहुंचा?
2020 में जहां NDA ने सीमांचल की 12 सीटें जीती थीं, वहीं 2025 में यह आंकड़ा रुझानों के अनुसार 18 सीटों तक पहुंच सकता है। यह साफ संकेत है कि बीजेपी-जेडीयू की रणनीति इस बार क्षेत्र में बहुत कारगर रही है। जेडीयू को सबसे बड़ा फ़ायदा मिलता दिख रहा है। पिछली बार 4 सीटेंअब यह आंकड़ा 9 तक पहुँचने की संभावना। भाजपा भी 7 सीटों पर आगे है।
महागठबंधन (MGB) क्यों पिछड़ गया?
- MGB सिर्फ 4 सीटों पर आगे है।
- RJD सिर्फ 1 सीट पर
- कांग्रेस 5 से घटकर 3 पर
- CPI(ML) 1 से घटकर 0 पर
यह साफ दिखाता है कि सीमांचल में विपक्ष को इस बार जनता का कम भरोसा मिला है।
क्या यह AIMIM के सीमांचल अध्याय का अंत है?
2020 के चुनाव के बाद AIMIM के चार विजेता विधायक RJD में शामिल हो गए थे और पार्टी में सिर्फ अख्तरुल ईमान बचे थे। लेकिन 2025 में ईमान की सीट भी फिसलती दिख रही है।
- इससे साफ है कि AIMIM का सीमांचल में प्रभाव तेजी से कम हो रहा है।
- सीमांचल के रुझान इस बार बिहार की राजनीति की सबसे बड़ी कहानी बन गए हैं।
- AIMIM पांच से दो सीट पर सिमट गई है, NDA की भारी बढ़त ने पूरे समीकरण बदल दिए हैं और MGB पिछड़ता दिख रहा है।
- यह स्पष्ट संकेत है कि सीमांचल अब पुराने वोट पैटर्न पर नहीं चल रहा-यहां राजनीतिक हवा पूरी तरह बदल चुकी है।
