बिहार चुनाव का दूसरा चरण 11 नवंबर को 122 सीटों पर होगा। यह निर्णायक है, जहाँ NDA और महागठबंधन की जीत छोटे सहयोगी दलों के प्रदर्शन पर निर्भर है। ये दल किंगमेकर की भूमिका में हैं।
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण के मतदान की तैयारी पूरी हो चुकी है। 11 नवंबर को 20 जिलों की 122 सीटों पर होने वाला मतदान, निर्णायक साबित हो सकता है। जहाँ पहले चरण में रिकॉर्ड 65.01 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, वहीं दूसरे चरण का मुकाबला इसलिए भी अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें छोटे दल दोनों प्रमुख गठबंधनों एनडीए और महागठबंधन की किस्मत तय करने वाले हैं।
किंगमेकर की भूमिका में सहयोगी दल
दूसरे चरण में यह बात साफ है कि सहयोगी दलों का प्रदर्शन ही तय करेगा कि सत्ता का ताज किसके सिर सजेगा। दोनों गठबंधनों के मुख्य दल (RJD, JDU, BJP) भले ही सबसे ज्यादा सीटों पर लड़ रहे हों, लेकिन जीत-हार का अंतर अक्सर छोटे दलों के प्रभाव वाले क्षेत्रों से आता है।
एनडीए खेमे की चुनौतियां
एनडीए में इस चरण में तीन प्रमुख सहयोगी दल मैदान में हैं, जिनका प्रदर्शन गठबंधन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा...
- चिराग पासवान (लोजपा-रामविलास): चिराग पासवान की पार्टी 28 में से 15 सीटों पर इस चरण में मैदान में है। लोकसभा चुनाव में 100% सफलता के बाद एनडीए ने चिराग की मांगों को अहमियत दी है। उनका युवा चेहरा और दलित वोटों पर पकड़, बीजेपी-जेडीयू के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
- जीतनराम मांझी (हम): पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' के सभी 6 उम्मीदवार इसी चरण में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। मांझी मगध क्षेत्र और महादलित समुदाय के वोटों के संतुलन में बड़ी भूमिका निभाते हैं।
- उपेंद्र कुशवाहा (रालोमो): उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोमो (RLM) भी कुल 6 में से 4 सीटों पर इस चरण में लड़ रही है।
महागठबंधन का दारोमदार
दूसरी ओर, महागठबंधन की ताकत इस चरण में विशेष रूप से मगध क्षेत्र में परखी जाएगी, जहाँ 2020 में राजद की अगुवाई वाले गठबंधन ने 26 में से 20 सीटों पर कब्ज़ा किया था। इस बार महागठबंधन की जीत का दारोमदार इन पर है।
- मुकेश सहनी (VIP): मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) इस चरण में 12 में से 7 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। सहनी निषाद समुदाय (राज्य में अनुमानित 2.6% आबादी) के वोटों पर भरोसा कर रहे हैं, जो कई सीटों पर निर्णायक साबित हो सकते हैं।
- कांग्रेस: कांग्रेस 61 में से 37 सीटों पर मैदान में है, और इस चरण में उसका बेहतर प्रदर्शन महागठबंधन के लिए जरूरी है।
सीमांचल और त्रिकोणीय मुकाबले का समीकरण
- सीमांचल की भूमिका: इस चरण में मधुबनी की 10 में से 8 सीटों पर भी मतदान होगा। सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम आबादी अधिक होने के कारण मुकाबला और रोचक हो गया है। यहाँ एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी भी मैदान में है, जिसने पिछले चुनाव में 24 में से 5 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया था।
- प्रशांत किशोर का प्रभाव: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (PK) की सक्रियता के कारण कई सीटों पर मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिख रहा है, जिससे दोनों प्रमुख गठबंधनों के वोट कटने की संभावना है।
