Bhojpur flood: बिहार में गंगा की विनाशकारी बाढ़ ने भोजपुर जिले के शाहपुर और बड़हरा प्रखंड के दियारा क्षेत्रों में तबाही मचा दी है। दामोदरपुर तटबंध और जवैनिया गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए, जहां सैकड़ों घर, मंदिर और पेड़ बह गए।
Bihar Flood: बिहार में गंगा नदी की विनाशकारी बाढ़ ने भोजपुर जिले के शाहपुर और बड़हरा प्रखंडों के दियारा इलाकों में भारी तबाही मचाई है। शाहपुर का दामोदरपुर तटबंध और जवैनिया गांव पूरी तरह जलमग्न हो गया है। यहां दर्जनों घर गंगा में विलीन हो गए हैं और सैकड़ों परिवार तटबंध पर तंबू और तिरपाल के नीचे रहने को मजबूर हैं। पिछले साल जवैनिया गांव के 59 घर कटाव में बह गए थे। इस साल स्थिति और भी गंभीर है-वार्ड चार और पांच के लगभग 150 घर, मंदिर, पेड़ और पानी की टंकियां गंगा में समा गई हैं। अब इन वार्डों में सिर्फ़ एक-दो घर ही बचे हैं। प्रशासन ने लगभग पांच किलोमीटर लंबे तटबंध पर तंबू, पंडाल और तिरपाल लगाकर प्रभावितों के लिए शिविर लगाए हैं।
बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए नाव सेवा फ्री
बड़हरा की ख्वासपुर पंचायत के 16 गांवों के लगभग एक लाख लोग हर साल छह महीने बाढ़ की स्थिति में रहते हैं। इन लोगों के लिए जिला मुख्यालय आरा या प्रखंड मुख्यालय बड़हरा पहुंचने का एकमात्र साधन नाव ही है। गंगा पार इस पंचायत की कुल आबादी लगभग डेढ़ लाख है, जो हर साल इसी तरह की पीड़ा झेलती है। प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित लोगों के आवागमन के लिए निःशुल्क नाव सेवा की व्यवस्था की है। एसडीआरएफ की टीम राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई है। इसके अलावा, शिविरों में चिकित्सा दल भी तैनात किए गए हैं, ताकि लोगों को आवश्यक प्राथमिक उपचार मिल सके। पशुओं के चारे और पेयजल की भी व्यवस्था की जा रही है, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि संसाधन सीमित हैं और जरूरतें बहुत ज़्यादा।
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बाढ़ प्रभावित इलाकों के 289 स्कूल बंद
जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों के 289 स्कूल 13 अगस्त तक बंद कर दिए गए हैं, जिससे हज़ारों बच्चों की पढ़ाई बाधित हो रही है। प्लस टू स्तर के स्कूलों के ज़रूरी शिक्षण उपकरण अन्य सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिए गए हैं। जवैनिया गांव की 2500 की आबादी में से ज़्यादातर बिंद, मल्लाह और यादव जाति के हैं। बाढ़ के कारण कुछ ब्राह्मण परिवार भी विस्थापित हुए हैं। कई लोग बिहिया चौरास्ता, बक्सर या ब्रह्मपुर में अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लेकर किसी तरह गुज़ारा कर रहे हैं।
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4 महीने के बच्चे के साथ तंबू में गुजारा
स्थानीय महिला काजल अपने चार महीने के बच्चे के साथ तंबू में रह रही हैं। दो साल पहले शादी के समय जो घर खुशहाल था, वह अब गंगा में डूब गया है। काजल कहती हैं, "मेरे पति परदेस में मज़दूरी करते हैं। बाढ़ में घर भी बर्बाद हो गया है, इसलिए तंबू ही सहारा है।" ऐसे सैकड़ों परिवार हैं जिनके पास न तो रोज़गार बचा है और न ही छत।
