सार

BPSC अभ्यर्थियों का धरना 13वें दिन भी जारी। लाठीचार्ज और वाटर कैनन के बाद भी अभ्यर्थी गर्दनीबाग में डटे हुए हैं। कई घायल अभ्यर्थी और माँ अपने नवजात बच्चों के साथ भी प्रदर्शन में शामिल।

पटना न्यूज: रविवार का दिन BPSC अभ्यर्थियों (Bihar BPSC Exam Protest) के लिए बेहद खास रहा। दिनभर वे अपनी मांगों को लेकर गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के नीचे डटे रहे और शाम होते ही पटना की सड़कों पर उतर आए। मौर्य होटल के पास जेपी गोलंबर पर घंटों हाई वोल्टेज ड्रामा चला और फिर वाटर कैनन और पुलिस की लाठियों से पानी बरसाया गया। कई अभ्यर्थी घायल हो गए, जिनका इलाज पीएमसीएच में किया गया। लाठीचार्ज के बाद भी अभ्यर्थियों का जोश कम नहीं हुआ।

देर रात फिर सभी अभ्यर्थी पटना के गर्दनीबाग पहुंचे और धरने पर बैठ गए। सोमवार की सुबह भी नजारा पहले जैसा ही था। आज धरना का 13वां दिन है और गर्दनीबाग धरना स्थल पर अभ्यर्थियों का जमावड़ा लगा हुआ है। कई अभ्यर्थी ऐसे हैं जो अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ आए हैं, जबकि कुछ कल के लाठीचार्ज में घायल होने के बाद भी आज धरना दे रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि जब तक पुनर्परीक्षा का नोटिफिकेशन नहीं आता, तब तक कोई हमारा सत्याग्रह खत्म नहीं करा सकता।

 

 

अपने नवजात बच्चे के साथ पहुंचीं धरना स्थल

सीतामढ़ी की रहने वाली राखी कुमारी अपने नवजात बच्चे के साथ धरना स्थल पर पहुंची हैं। उनका कहना है कि कल की तस्वीरें देखने के बाद वह खुद को रोक नहीं पाईं और आज धरना स्थल पर पहुंच गईं। उन्होंने आगे कहा, "हम बीपीएससी और यूपीएससी के अभ्यर्थी हैं, दर्द में धैर्य रखना जानते हैं। ठंड में बच्चे के साथ धरना स्थल पर पहुंचने के सवाल पर राखी कहती हैं, "मैं उसे कहीं छोड़कर नहीं जा सकती। दो घंटे परीक्षा देने गया तो उसका हाथ टूट गया। जब मैं परीक्षा देकर वापस आई तो मेरे एक हाथ में बच्चा दूसरे हाथ में परीक्षा में हुए बवाल का वीडियो था।"

 

 

पीएमसीएच से सीधे धरना स्थल पहुंचें

सोमवार को धरना स्थल पर कई अभ्यर्थी ऐसे भी हैं जो कल हुए लाठीचार्ज में घायल हो गए थे। रात भर पीएमसीएच में उनका इलाज चला और सुबह फिर से धरना स्थल पर पहुंचे। ऐसे ही एक अभ्यर्थी ने कहा, "मैं लाठीचार्ज के दौरान बेहोश हो गया था। मुझे नहीं पता कि मैं जेपी गोलंबर से पीएमसीएच कैसे पहुंचा। जैसे ही मुझे होश आया, मैं अस्पताल के बिस्तर पर था और ऑक्सीजन पर था। रात भर इलाज के बाद मैं सुबह गर्दनीबाग पहुंचा। मैं आंदोलन की कोर कमेटी का सदस्य हूं। मैं दर्द के बावजूद आंदोलन स्थल पर पहुंचा ताकि आंदोलन कमजोर न पड़े।