नवादा में NDA में आंतरिक कलह। लोजपा (रामविलास) ने भाजपा सांसद विवेक ठाकुर का पुतला फूंका। आरोप है कि सांसद जन सूराज के पक्ष में एकजुट हो रहे सवर्ण समाज को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे NDA की रणनीति को चुनौती मिल रही है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच नवादा में एनडीए (NDA) की अंदरूनी खींचतान खुलकर सड़कों पर आ गई है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के युवा जिलाध्यक्ष चंदन सिंह ने भाजपा सांसद विवेक ठाकुर का पुतला दहन कर तेज विरोध दर्ज कराया। इस दौरान चंदन सिंह के समर्थकों द्वारा ‘सवर्ण एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाए गए।
इस विरोध के बीच भाजपा नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का नवादा के कादिरगंज में होने वाला कार्यक्रम भी अचानक रद्द कर दिया गया, जिससे सियासी हलचल और बढ़ गई है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह मामला केवल स्थानीय असंतोष है या एनडीए में टूट की शुरुआती दस्तक?
क्या है विवाद?
लोजपा (रामविलास) के युवा जिलाध्यक्ष चंदन सिंह का आरोप है कि नवादा में स्वर्ण समाज एकजुट होकर जन सूराज के नेता डॉ. अनुज सिंह के समर्थन में आने लगा है, लेकिन भाजपा सांसद समाज की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम नवादा में 35 साल से राजनीतिक गुलामी झेल रहे हैं। आज जब पूरा स्वर्ण समाज एकजुट हो रहा है, तब सांसद इसे विखंडित करने की कोशिश कर रहे हैं। हम इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह विरोध नहीं, आक्रोश है। अगर कोई समाज की ताकत को कमजोर करेगा, तो जवाब भी सड़क पर मिलेगा।”
चंदन सिंह ने वर्तमान राजद विधायक विभा देवी पर भी निशाना साधा, जिनका इस बार एनडीए की ओर से जदयू ने मैदान में उतारा है। हालांकि नाम सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन इशारा साफ था।
NDA की अंदरूनी समीकरण बिगड़ रहे हैं?
नवादा में भूमिहार समाज खुलकर एक पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है। जन सूराज के अनुज सिंह को इसका सीधा फायदा मिल सकता है। वहीं एनडीए उम्मीदवार विभा देवी के सामने स्थिति और कठिन होती दिखाई दे रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर जातीय ध्रुवीकरण इसी तरह बढ़ा, तो चुनावी गणित पूरी तरह बदल जाएगा।
चंदन सिंह की चेतावनी
चंदन सिंह ने कहा, “हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सम्मान करते हैं, लेकिन समाज को तोड़ने वालों को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।” उन्होंने साफ चेतावनी दी कि अगर नेतृत्व स्तर पर समाधान नहीं हुआ, तो विरोध और तेज होगा।
नवादा में यह मामला केवल नाराज़गी नहीं, बल्कि व्यवस्थित राजनीतिक असंतोष का संकेत लगता है। और अगर यह लहर आगे बढ़ी, तो NDA के लिए यह एक सीट नहीं, रणनीति की बड़ी चुनौती साबित हो सकती है।
