करगहर विधानसभा चुनाव 2025 में जेडीयू के बशिष्ठ सिंह ने जीत दर्ज की है। उन्हें 92,485 वोट मिले। बशिष्ठ सिंह ने बीएसपी के उदय प्रताप सिंह को 35,676 वोटों के अंतर से हराया।

Kargahar Assembly Election 2025: करगहर विधानसभा चुनाव 2025 में जनता दल (यूनाइटेड) के बशिष्ठ सिंह जीत गए हैं। उन्हें 92485 वोट मिले। उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के उदय प्रताप सिंह को 35676 वोट से हराया। करगहर विधानसभा चुनाव 2025 (Kargahar Vidhan Sabha Election 2025) बिहार की सियासत में एक दिलचस्प अध्याय लिखने जा रहा है। यह सीट (रोहतास जिला) उन खास सीटों में गिनी जाती है, जहां जनता हर चुनाव में नए समीकरण गढ़ती है। 2010, 2015 और 2020—इन तीनों चुनावों में अलग-अलग पार्टियों ने जीत हासिल की। 

2020 करगहर विधानसभा चुनाव: कांग्रेस की अप्रत्याशित जीत

  •  2020 में कांग्रेस के संतोष कुमार मिश्रा ने बड़ा उलटफेर करते हुए करगहर सीट पर कब्जा किया।
  •  विजेता: संतोष कुमार मिश्रा (INC)-59,763 वोट
  •  हारने वाले: बशिष्ठ सिंह (JDU)-55,680 वोट
  •  जीत का अंतर: 4,083 वोट

खास वजह: कांग्रेस प्रत्याशी की साफ छवि, स्थानीय मुद्दों को उठाना और जेडीयू प्रत्याशी की एंटी-इनकंबेंसी।

नोट: स्नातक तक पढ़ाई करने वाले संतोष कुमार मिश्रा पर कोई आपराधिक केस नहीं रजिस्टर्ड है। उनकी कुल चल-अचल संपत्ति Rs 4,87,52,296 बताई गई है। उन पर 50 लाख से ज्यादा का कर्जा जरूर है।

2015 करगहर विधानसभा चुनाव: जेडीयू का दमदार प्रदर्शन

  •  2015 में जेडीयू के बशिष्ठ सिंह ने बाज़ी मारी और कांग्रेस व अन्य दलों को पीछे छोड़ दिया।
  •  विजेता: बशिष्ठ सिंह (JDU)-57,018 वोट
  •  हारने वाले: बीरेंद्र कुमार सिंह (RLSP)-44,111 वोट
  •  जीत का अंतर: 12,907 वोट

खास वजह: नीतीश कुमार के सुशासन अभियान और महागठबंधन की मजबूती।

2010 करगहर विधानसभा चुनाव: जेडीयू का लगातार दबदबा

  •  2010 में करगहर सीट पर जेडीयू के रामधनी सिंह ने जीत दर्ज की।
  •  विजेता: रामधनी सिंह (JDU)-54,190 वोट
  •  हारने वाले: शिवशंकर सिंह (LJP)-40,993 वोट
  •  जीत का अंतर: 13,197 वोट

खास वजह: जेडीयू-बीजेपी गठबंधन की ताकत और विपक्ष की कमजोर पकड़।

करगहर की राजनीति में इतना उतार-चढ़ाव क्यों?

करगहर विधानसभा का वोटर हमेशा बदलाव पसंद करता है। यहां की जनता बार-बार यह संदेश देती है कि वे मुद्दों और काम को ज्यादा महत्व देती है, न कि सिर्फ पार्टी को। यही कारण है कि पिछले तीन चुनावों में हर बार अलग पार्टी जीती।