लालू परिवार दोहरे एजेंडे के साथ दिल्ली में है। वे महागठबंधन में सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला करेंगे और 'लैंड फॉर जॉब' मामले में कोर्ट में पेश होंगे। इस दौरे का बिहार चुनाव पर असर पड़ सकता है।

पटनाः बिहार चुनाव 2025 से पहले राजद सुप्रीमो लालू यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के साथ आज दिल्ली पहुंचे। इन लोगों की दिल्ली एंट्री इस बार दो वजहों से चर्चा में है। पहला महागठबंधन में सीट बंटवारे पर अंतिम फैसला करना और दूसरा ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में कोर्ट में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना।

आज लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव दिल्ली के लिए रवाना हुए। सूत्रों के अनुसार, देर शाम उनका राहुल गांधी से आमना-सामना होगा। इस मुलाकात में महागठबंधन के सीटों के बंटवारे पर अंतिम फैसला लिया जा सकता है।

सीट बंटवारे का राजनीतिक ड्रामा

तेजस्वी यादव ने पटना एयरपोर्ट से मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “सीट शेयरिंग पर सब कुछ ठीक है। महागठबंधन के सभी घटक दलों के बीच सहमति बन चुकी है। जनता 14 नवंबर को निर्णय देगी।” माना जा रहा है कि यह मुलाकात सिर्फ़ औपचारिकता नहीं है। कांग्रेस और राजद के बीच सीट बंटवारे की जटिलताएं अभी भी सुलझ रही हैं। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी इसे और भी गंभीर बनाती है।

लैंड फॉर जॉब में पेशी

राजनीतिक बैठक के बाद लालू परिवार का दूसरा अहम एजेंडा है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में ‘लैंड फॉर जॉब’ मामले में पेशी। इस घोटाले में आरोप है कि 2004-2009 के बीच रेल मंत्रालय के दौरान ग्रुप-डी नौकरियों के बदले संपत्तियां और जमीनें परिवार के नाम करवाई गईं। कोर्ट ने सभी आरोपियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। अब 13 अक्टूबर को सुनाया जाने वाला फैसला राजनीतिक और कानूनी दोनों मोर्चों पर बेहद अहम माना जा रहा है। दोष सिद्ध होने पर लालू परिवार को 7 साल तक की जेल की सजा हो सकती है।

चुनावी टाइमिंग और सियासी महत्व

बिहार में पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है। ऐसे में दिल्ली दौरे की टाइमिंग को राजद की रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। सीट बंटवारा और कोर्ट पेशी दोनों घटनाएं 2025 के चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकती हैं। जानकार मानते हैं कि अगर कोर्ट में फैसला राजद के पक्ष में नहीं गया तो इसका असर महागठबंधन के वोटरों और उम्मीदवारों पर भी पड़ेगा। वहीं, सीट बंटवारे पर फाइनल निर्णय महागठबंधन की चुनावी रणनीति को स्थिर कर सकता है।