सार

बिहार में शराबबंदी के बाद इतनी असहज स्थितियां पैदा हो गई थी कि मजबूरन सरकार को शराबबंदी के नियमों में बदलाव करना पड़ा है। इसका फायदा उन वाहन स्वामियों को मिलेगा, जिनकी गाड़ियों पर शराब ‘लोड’ रहती थी। 

पटना। बिहार में शराबबंदी के बाद इतनी असहज स्थितियां पैदा हो गई थी कि मजबूरन सरकार को शराबबंदी के नियमों में बदलाव करना पड़ा है। इसका फायदा उन वाहन स्वामियों को मिलेगा, जिनकी गाड़ियों पर शराब लोड रहती थी। अब उन वाहन स्वामियों को जांच के बाद ही अभियुक्त बनाया जा सकेगा। शराब के साथ पकड़े गए वाहन मालिको को हड़बड़ी में आरोपी नहीं बनाया जाएगा। इसकी वजह से मद्य निषेध विभाग को बहुत ही अहसज स्थितियों का सामना करना पड़ता था। इस सिलसिले में नये निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

वाहन स्वामियों की संलिप्तता सिद्ध करें

इसको लेकर मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन महकमे की तरफ से मद्य निषेध विभाग के सभी सहायक आयुक्त और अधीक्षक को पत्र भेजा गया है। ​इसमें कहा गया है कि शराब के साथ पकड़ी गई गाड़ियों की जांच की जाए। जांच में वाहन के असल स्वामियों तक पहुंचने की कोशिश की जाए और उनकी इसमें संलिप्तता सिद्ध करने का प्रयास किया जाए।

वाहन स्वामी का सत्यापन जरुरी

रिपोर्ट्स के अनुसार, एक अधिकारी का कहना है कि अक्सर शराब के साथ पकड़ी गई गाड़ियों के मालिक को बिना जांच के आरोपी बना दिया जाता है। केस दर्ज होता है और कार्रवाई शुरु हो जाती है। बाद में जानकारी मिलती है कि संबंधित वाहन को उसके स्वामी द्वारा किसी अन्य को बेच दिया गया था। कई ऐसे मामले भी आएं, जिनमें वाहनों की चोरी के केस पहले से दर्ज रहते हैं।

छानबीन के बाद ही बनाएं आरोपी

इन मामलों की संख्या इतनी ज्यादा है कि ऐसे मामलों में महकमे को असहज स्थितियों का सामना करना पड़ता है। इसी तरह के लगभग 60-70 प्रतिशत मामले जानकारी में आ रहे हैं। इसको देखते हुए यह निर्देश दिया गया है। अवैध शराब के साथ पकड़े गए वाहनों के स्वामियों का पहले छानबीन कर सत्यापन किया जाए। उसके बाद ही उन्हें आरोपी बनाया जाए।