बिहार के मोकामा में जन सुराज कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद जेडीयू उम्मीदवार अनंत सिंह गिरफ्तार। चुनाव आयोग ने पटना SP सहित कई अफसरों के ट्रांसफर का आदेश दिया। क्या मोकामा में फिर लौट आया है 20 साल पुराना खून और सियासत का खेल?
पटना। बिहार का मोकामा एक बार फिर सियासी हिंसा की आग में झुलस गया है। करीब 20 साल बाद लौटे इस खून और राजनीति के खेल ने राज्य की राजनीति को हिला दिया है। JD(U) उम्मीदवार अनंत सिंह की गिरफ्तारी और जन सुराज कार्यकर्ता दुलार चंद यादव की हत्या ने पूरे चुनावी माहौल को गरमा दिया है। चुनाव आयोग (EC) ने भी सख्ती दिखाते हुए पटना SP (ग्रामीण) का ट्रांसफर और कई अफसरों पर कार्रवाई का आदेश जारी किया है।
अनंत सिंह के अलावा किसकी और हुई गिरफ्तारी?
शनिवार देर रात बिहार पुलिस ने विवादित पूर्व विधायक अनंत सिंह को उनके बाढ़ स्थित घर से गिरफ्तार किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने जन सुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या में भूमिका निभाई। पुलिस ने दो अन्य लोगों मणिकांत ठाकुर और रंजीत राम को भी गिरफ्तार किया है। पटना के SSP कार्तिकेय शर्मा ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, यादव की मौत “दिल और फेफड़ों में कठोर वस्तु से चोट लगने” के कारण कार्डियोरेस्पिरेटरी फेलियर से हुई। यानी यह हमला बेहद हिंसक था।
क्या मोकामा में फिर लौट आया 20 साल पुराना ‘खून और सियासत’ का खेल?
6 नवंबर को होने वाली मोकामा की वोटिंग से पहले पूरा इलाका पुलिस और प्रशासन के घेरे में है। बीते गुरुवार को जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ता दुलार चंद यादव की निर्मम हत्या कर दी गई, जब वह पार्टी उम्मीदवार पीयूष प्रियदर्शी के लिए प्रचार कर रहे थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि यादव की मौत दिल और फेफड़ों पर नुकीली चीज़ से चोट लगने से हुई थी। इसके बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया। दुलार चंद यादव की हत्या के बाद से मोकामा में डर का माहौल है। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि यह वही हिंसक माहौल है, जो अनंत सिंह के सक्रिय राजनीति में रहते हुए देखा गया था।
चुनाव आयोग की सख्ती: पटना SP और 3 अधिकारी हटाए गए
चुनाव आयोग (Election Commission) ने मामले को बेहद गंभीर मानते हुए पटना ग्रामीण SP विक्रम सिहाग का ट्रांसफर करने और तीन अधिकारियों को सस्पेंड करने का आदेश दिया। आयोग ने कहा कि मोकामा में निष्पक्ष चुनाव कराना उसकी प्राथमिकता है। साथ ही बाढ़ के SDM, SDPO-1 और SDPO-2 की जगह नए अधिकारियों की तैनाती के निर्देश दिए गए हैं। यह कार्रवाई चुनाव आयोग की उस सख्ती को दिखाती है, जो वह लॉ एंड ऑर्डर बिगाड़ने वाले तत्वों के खिलाफ अपनाना चाहता है।
क्या अनंत सिंह की गिरफ्तारी JD(U) के लिए झटका बनेगी?
अनंत सिंह, जिन्हें बिहार की राजनीति का “बहुबली चेहरा” कहा जाता है, अब जेल में हैं। JD(U) उम्मीदवार की गिरफ्तारी से पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है। मोकामा का यह मामला अब सिर्फ एक हत्या नहीं रहा, बल्कि यह बिहार की चुनावी राजनीति और कानून-व्यवस्था की परीक्षा बन चुका है। EC की सख्ती, पुलिस की कार्रवाई और जनता का डर- सब मिलकर इस चुनाव को बिहार का सबसे हाई-वोल्टेज मुकाबला बना रहे हैं। आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि क्या “मोकामा की गोलीबारी” लोकतंत्र की सच्चाई बदल देगी या न्याय की जीत होगी।
मोकामा में कब डाले जाएंगे वोट?
मोकामा में 6 नवंबर को वोटिंग और 14 नवंबर को मतगणना होनी है, लेकिन इससे पहले ही यहां का माहौल डर और सस्पेंस से भर गया है। सवाल उठ रहा है कि क्या यह सिर्फ एक चुनावी झड़प थी या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक साजिश है?
