2025 बिहार चुनाव के लिए BJP सीमांचल में अपनी जमीन मजबूत कर रही है। पार्टी 12,000 कमजोर बूथों पर "घर-घर दस्तक" अभियान चला रही है। इसका लक्ष्य सरकारी योजनाओं के आधार पर हर बूथ पर कुछ नए वोट जोड़कर अपनी स्थिति मजबूत करना है।
पटनाः 2025 के बिहार चुनाव के लिए मंच तैयार है। पोस्टर बदल गए हैं, नारे नए हैं, लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सबसे दिलचस्प चाल उस इलाके में चली है जहां उसकी मौजूदगी अब तक सिर्फ़ नक्शे तक सीमित रही है। सीमांचल, यानी अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार, वो इलाका है जहां 2020 में भाजपा को कई बूथों पर एक भी वोट नहीं मिला था। लेकिन इस बार, बाजी पलटने की कोशिश है, और मिशन है "घर-घर दस्तक, हर वोट से रिश्ते की शुरुआत।"
अब “कमजोर बूथ” बनेंगे “विजय केंद्र”
पार्टी ने पूरे बिहार के करीब 12,000 कमजोर बूथों की पहचान की है, जिनमें से 70% से ज़्यादा सीमांचल में हैं। इन बूथों पर बीजेपी का ग्राउंड गेम शुरू हो गया है, वो भी बिना भीड़, बिना मंच, बिना पोस्टर के। हर बूथ पर 10 से 15 स्थानीय स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं, जिनका काम है हर घर तक जाना, हाथ जोड़ना, और कहना, एक मौका हमें भी दीजिए।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, हर वॉलंटियर को एक टारगेट मिला है "अगर आप सिर्फ दो वोट भी जोड़ देते हैं, तो मिशन सफल है।” यह सुनने में मामूली लगता है, लेकिन जब आप 12,000 बूथों पर 10 वोट बढ़ाते हैं, तो वो आंकड़ा 1.2 लाख नए वोटों तक जा सकता है।
डिलीवरी पर भरोसा
इस मिशन की कमान संभाली है BJP माइनॉरिटी मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने। उनकी रणनीति साफ़ है कि किसी के धर्म, जाति या राजनीति पर बात नहीं होगी। बात होगी योजनाओं की, काम की और भरोसे की। टीम के लोग ग्रामीणों को सरकार की योजनाओं की जानकारी देंगे और बताएंगे कि गांव में कितने लोगों को प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला गैस, जनधन खाता या आयुष्मान कार्ड मिला है।
यानी अब वोट मांगने का तरीका बदला है, स्वयंसेवक अब बस लोगों के दरवाजे पर जाएंगे और कहेंगे, “आपके पड़ोसी को मिला, अब आपकी बारी है, बस हमें आशीर्वाद दीजिए।”
सीमांचल की सियासत में ‘डोर-टू-डोर’ क्रांति
किशनगंज के कोचाधामन से लेकर अररिया के जोकीहाट तक, BJP के छोटे-छोटे टीमें अब रोज़ शाम मोहल्ला चौपाल लगा रही हैं। न कोई डीजे, न ढोल बातचीत और सरकारी योजनाओं की चर्चा। बीजेपी इसे सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि “राजनीतिक प्रयोगशाला” मान रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ रणनीतिकार का कहना है, “2020 में हम यहां हार नहीं रहे थे, हम ‘अनुपस्थित’ थे। अब हम मैदान में हैं, बातचीत में हैं, और गांव-गांव में हैं।”
दिलचस्प बात यह है कि इन इलाकों में पहली बार माइनॉरिटी मोर्चा के साथ-साथ महिला मोर्चा और युवा मोर्चा भी सक्रिय हुआ है। महिला कार्यकर्ताओं को “मां-बहन संवाद” कार्यक्रम की जिम्मेदारी दी गई है। जिसमें महिलाओं को सरकार की योजनाओं के फायदे सीधे समझाए जाएंगे।
NDA की ट्यूनिंग जारी
उधर, दिल्ली में बीजेपी के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान से बैठक की। सूत्रों के मुताबिक, NDA में सीट बंटवारे का मसौदा लगभग तैयार है।
बीजेपी और जेडीयू के बीच समझौता “फ्रेंडली” बताया जा रहा है, जबकि चिराग पासवान अब भी 30 सीटों की मांग पर अड़े हैं। बीजेपी चाहती है कि सीमांचल के कुछ नए इलाकों में LJP को भी मैदान में उतारा जाए ताकि “एंटी-RJD” वोट बैंक का ध्रुवीकरण हो सके।
