परसा विधानसभा चुनाव 2025 में आरजेडी की उम्मीदवार करिश्मा ने जीत दर्ज की है। उन्हें 89,093 वोट मिले। करिश्मा ने जेडीयू के छोटेलाल राय को 25,772 वोटों के अंतर से हराया।

Parsa Assembly Election 2025: परसा विधानसभा चुनाव 2025 में राष्ट्रीय जनता दल की उम्मीदवार करिश्मा जीत गई हैं। उन्हें 89093 वोट मिले। उन्होंने जनता दल (यूनाइटेड) के छोटेलाल राय को 25772 वोटों से हराया।बिहार की राजनीति में सारण जिले की परसा विधानसभा सीट हमेशा चर्चा में रही है। कभी यह सीट राजद (RJD) का गढ़ मानी जाती थी, तो कभी जदयू (JDU) ने यहां अपना दबदबा बनाया।

मतदाताओं की संख्या और मतदान का पैटर्न

परसा विधानसभा में करीब 3.10 लाख मतदाता हैं। इनमें लगभग 1.65 लाख पुरुष और 1.45 लाख महिला मतदाता शामिल हैं। यहां मतदान प्रतिशत आमतौर पर 52% से 58% के बीच रहता है। यह सीट अर्ध-ग्रामीण इलाका है, जहां परंपरागत जातीय समीकरण का असर दिखता है, लेकिन अब युवा वोटर विकास और रोजगार जैसे मुद्दों पर भी ध्यान देने लगे हैं।

चुनावी इतिहास: जीत-हार के आंकड़ों का खेल

  •  2010 चुनाव: जदयू के छोटेलाल राय ने 44,828 वोट लेकर जीत दर्ज की थी। राजद के चंद्रिका राय को 40,139 वोट मिले थे।
  • 2015 चुनाव: राजद प्रत्याशी चंद्रिका राय ने 77,211 वोट पाकर जीत हासिल की। लोजपा (LJP) के छोटे लाल राय को 34,876 वोट मिले।
  • 2020 चुनाव: राजद के छोटे लाल राय ने 68,316 वोट हासिल किए और जदयू के चंद्रिका राय को 51,023 वोटों से हराया। जीत का अंतर 17,293 वोट का था।

खास बात: इन आंकड़ों से साफ है कि परसा सीट पर राजद और जदयू के बीच कांटे का मुकाबला रहा है, जबकि भाजपा तीसरी ताकत के रूप में धीरे-धीरे अपनी जगह बना रही है।

जातीय समीकरण: कौन किसके साथ?

परसा में यादव वोटर्स की संख्या सबसे अधिक है, जो पारंपरिक रूप से राजद के पक्ष में रहते हैं। वहीं भूमिहार, वैश्य और कुशवाहा मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

  •  जदयू को कुशवाहा और अति पिछड़ी जातियों का समर्थन मिलता है।
  •  भाजपा वैश्य और ऊंची जातियों को साथ जोड़ने की कोशिश करती है।
  •  मुस्लिम मतदाता बड़ी संख्या में राजद के साथ जुड़े रहते हैं।

2025 का समीकरण: चेहरा बदलेगी जदयू या रिपीट करेगी?

2025 के चुनाव में बड़ा सवाल यह है कि जदयू चंद्रिका राय को टिकट देगी या किसी नए चेहरे को लाएगी। राजद से छोटे लाल राय मजबूत दावेदार बने हुए हैं और पिछली हार का बदला लेने को तैयार दिख रहे हैं। भाजपा भी इस बार रणनीतिक एंट्री कर सकती है और समीकरण पूरी तरह बदल सकती है।

स्थानीय मुद्दे: विकास की कमी बड़ा सवाल

  •  टूटी सड़कें और खराब सिंचाई व्यवस्था
  •  शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव
  •  युवाओं का पलायन और रोजगार की कमी
  •  अगर विपक्ष इन मुद्दों को जोर-शोर से उठाता है तो जदयू की राह मुश्किल हो सकती है।