भाजपा से निष्कासित पवन सिंह की NDA में वापसी की अटकलें तेज हैं। 2025 विधानसभा चुनाव से पहले वे NDA नेता उपेंद्र कुशवाहा से मिल रहे हैं। उन्हें आरा सीट से NDA का उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासत का पारा चढ़ चुका है और अब सुर्खियों में आ गए हैं भोजपुरी सिनेमा के ‘पावरस्टार’ पवन सिंह। बगावती तेवर दिखाकर भाजपा से बाहर हुए पवन सिंह अब घर वापसी के मूड में नजर आ रहे हैं। सूत्रों की मानें तो मंगलवार सुबह दिल्ली में उनकी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) अध्यक्ष और NDA नेता उपेंद्र कुशवाहा से अहम मुलाकात होने वाली है।
2024 में दिखाई थी बगावत
पिछले साल यानी 2024 लोकसभा चुनाव में पवन सिंह ने भाजपा के खिलाफ बगावत कर करकट सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने का फैसला किया था। उस समय यह सीट NDA के घटक आरएलएम के खाते में थी और खुद उपेंद्र कुशवाहा उम्मीदवार थे। पवन सिंह ने जोरदार मुकाबला किया लेकिन CPI(ML) के राजाराम सिंह से हार गए। वे दूसरे नंबर पर रहे। इसके बाद भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया।
NDA में एंट्री की चर्चा
अब विधानसभा चुनाव से पहले पवन सिंह की एनडीए में वापसी की चर्चाएं तेज़ हो गई हैं। बताया जा रहा है कि भाजपा हाईकमान पवन सिंह की लोकप्रियता को भुनाना चाहता है और इसी कड़ी में उनकी उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात बेहद अहम मानी जा रही है। माना जा रहा है कि आरा विधानसभा सीट से उन्हें NDA का उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
सीट बंटवारे की रणनीति
आरा सीट भोजपुर और शाहाबाद प्रमंडल में भोजपुरी बेल्ट का सियासी केंद्र मानी जाती है। यहां जातीय समीकरण और पवन सिंह का स्टारडम एनडीए के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में होने वाली इस मुलाकात में सीट शेयरिंग और उम्मीदवारी पर अंतिम सहमति बनने की संभावना है।
विपक्ष ने साधा निशाना
राजद ने पवन सिंह की संभावित वापसी पर तंज कसते हुए कहा— “कल तक जिनको पार्टी से बाहर निकाल दिया था, आज वही फिर से एनडीए का चेहरा बनने जा रहे हैं। यह गठबंधन की मजबूरी और अवसरवाद का खेल है।”
परिवार भी सक्रिय
दिलचस्प बात यह है कि पवन सिंह की पत्नी ज्योति सिंह ने भी इसी साल विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। हालांकि उन्होंने साफ नहीं किया कि वे किस पार्टी से उतरेंगी। इससे कयास तेज हो गए हैं कि पवन-ज्योति की जोड़ी राजनीति में भी एक साथ कदमताल करती नजर आ सकती है।
क्यों है पवन सिंह पर इतनी नजरें?
- भोजपुरी सिनेमा में अपार लोकप्रियता
- युवाओं और ग्रामीण वोटरों पर सीधा असर
- 2024 की हार के बावजूद ‘लड़ाकू’ छवि
- शाहाबाद और भोजपुर इलाके में जातीय संतुलन साधने की क्षमता
