सार

Prashant Kishor was arrested during his hunger strike at Gandhi Maidan and the court has sent him to 14 days judicial custody. PK refused to take bail. His vanity van has also been seized.

पटना न्यूज: शिक्षा और परीक्षा मुद्दा बनकर जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सरगना प्रशांत किशोर (पीके) पटना के गांधी मैदान में आमरण अनशन पर बैठे थे। इसके बाद आज सुबह उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया। वहीं कोर्ट से बेल मिलने पर प्रशांत किशोर ने बेल लेने से इनकार कर दिया। जिसपर कोर्ट ने 14 दिन के न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। वहीं प्रशांत किशोर को पुलिस द्वारा थप्पड़ मारने वाली वीडियो भी तेजी वायरल हो रही।

वहीं पीके के अनशन में जिस चीज की सबसे ज्यादा चर्चा हुई है, वह है उनकी वैनिटी वैन। जानकारी के अनुसार वैन को जब्त कर लिया गया है। इस वैन को पटना के परिवहन भवन में लाया गया है। वैन के ड्राइवर ने यह जानकारी दी है। पटना डीएम ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जन सुराज पार्टी के प्रशांत किशोर और कुछ अन्य लोग अपनी पांच सूत्री मांगों को लेकर प्रतिबंधित क्षेत्र गांधी मैदान में गांधी प्रतिमा के सामने अवैध रूप से धरना दे रहे थे।

मालूम हो कि प्रशांत किशोर के साथ पटना पुलिस ने धरना पर बैठे जन सुराज के 50 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया है। पुलिस उन्हें हरनौत जेल ले गई है। पीके को अलग जगह पर रखा गया है। ताकि आंदोलनकारी एक जगह जमा न हो सकें। इधर, पटना में अहले सुबह गांधी मैदान से लेकर एम्स तक काफी हंगामा हुआ।

सुबह पौने चार बजे पुलिस पीके को हिरासत में लेने गांधी मैदान पहुंची। वहां पुलिस और जन सुराज समर्थकों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। इसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया। अस्पताल के बाहर भी समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प हुई। पुलिस ने हल्का बल प्रयोग भी किया। वहीं, जब पटना पुलिस प्रशांत किशोर को लेकर एम्स पहुंची तो पीके के समर्थकों ने भारी हंगामा किया।

पीके के समर्थक और बीपीएससी अभ्यर्थी एंबुलेंस के सामने लेट गए। जिसके बाद पुलिस ने सभी को हटाने की कोशिश की। समर्थक और अभ्यर्थी पुलिस को रोक रहे थे। जिसके बाद पुलिस ने एम्स के बाहर हल्का बल प्रयोग किया। इस दौरान एम्स के बाहर भारी हंगामा देखने को मिला। इसके बाद पुलिस से कहासुनी की खबरें सामने आई हैं। जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर के समर्थकों का कहना है, "प्रशांत किशोर बिहार की जनता के लिए, छात्रों के लिए लड़ रहे थे। बिहार सरकार इस एकता से डरी हुई है। उनके खिलाफ शारीरिक हिंसा निंदनीय है।

 

 

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