बिहार के पूर्णिया जिले में अंधविश्वास के आरोप में भीड़ ने एक ही परिवार के 5 लोगों को खंभे से बांधकर जिंदा जला दिया। 12 साल के बेटे सोनू ने अपनी आंखों से सबकुछ देखा और पुलिस को बताया दिल दहला देने वाली सच्चाई।
Purnia mass murder: बिहार के पूर्णिया जिले के टेटगामा गांव में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। एक ही परिवार के पांच लोगों को अंधविश्वास के शक में खंभे से बांधकर जिंदा जला दिया गया। इस पूरी घटना का चश्मदीद गवाह बना मृतक का 12 वर्षीय बेटा सोनू, जिसने अपनी आंखों से मां, बाप, भाई और दादी को आग की लपटों में घिरते देखा।
23 नामजद और 150 अज्ञात पर केस दर्ज
पुलिस ने इस मामले में 23 लोगों को नामजद किया है जबकि 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ भीड़ हिंसा और हत्या के आरोपों में केस दर्ज किया गया है। घटना के बाद दो लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। इस जघन्य कांड में जिनकी मौत हुई उनमें बाबूलाल उरांव, पत्नी सीता देवी, मां मो. कातो, बहू रानी देवी और बेटा मनजीत शामिल हैं।
12 साल का सोनू बच गया, लेकिन देखा
परिवार को जलते सोनू ने बताया कि रविवार की रात गांव में पंचायत हुई थी, जिसमें करीब 300 लोग शामिल थे। पंचायत के बाद गांववालों ने उनके घर पर हमला किया। पहले पिता बाबूलाल को पीटा गया, फिर भाई, मां, दादी और भाभी को भी खींच लिया गया। सभी को खंभे से बांधकर पेट्रोल डाला गया और जिंदा जला दिया गया। "मैंने अपनी आंखों से मां, पापा और भाई को जलते देखा... मैं कांप रहा था," - सोनू
एक महिला ने बचाई सोनू की जान
सोनू के अनुसार, जब वह छिपकर ये सब देख रहा था तो एक महिला ने आकर कहा– “भाग जा बेटा, वरना तुझे भी जला देंगे।” इसके बाद सोनू वहां से भाग गया और किसी तरह जान बचा पाया।
भीड़ को उकसाने वाली पंचायत थी वजह?
स्थानीय रिपोर्ट्स के मुताबिक, गांव में अंधविश्वास से जुड़ी एक पंचायत हुई थी जिसमें इस परिवार पर ‘टोना-टोटका’ करने का आरोप लगाया गया। इसके बाद भीड़ ने त्वरित ‘सज़ा’ देने के नाम पर पांच जिंदगियों को आग के हवाले कर दिया।
गांव में सन्नाटा, कोई नहीं बोल रहा एक शब्द
घटना के बाद टेटगामा गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग खामोश हैं और कोई इस पर बात करने को तैयार नहीं। पुलिस का कहना है कि घटना की हर कोण से जांच की जा रही है, और साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं।
