बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में रिकॉर्ड 67.14% मतदान हुआ, जो 2020 की तुलना में 13.68% अधिक है। यह ऐतिहासिक वृद्धि मतदाताओं के भारी उत्साह को दर्शाती है, खासकर सीमांचल क्षेत्र में जहाँ वोटिंग सबसे ज़्यादा रही।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे चरण में मतदाताओं ने रिकॉर्ड तोड़ उत्साह दिखाया है। 20 जिलों की 122 सीटों पर हुए मतदान में शाम 5 बजे तक औसतन 67.14 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई। यह बंपर वोटिंग पिछले विधानसभा चुनाव (2020) के दूसरे चरण के 5 बजे तक के मतदान (53.46%) से 13.68 प्रतिशत अंक अधिक है, जो बिहार के चुनावी इतिहास में एक ऐतिहासिक वृद्धि है। यह रिकॉर्ड तोड़ मतदान स्पष्ट संकेत देता है कि बिहार की जनता इस बार अपने जनादेश को लेकर बेहद उत्साहित और जागरूक है।

सबसे अधिक और सबसे कम वृद्धि

मतदान में सबसे बड़ी वृद्धि अररिया (23.01%), किशनगंज (18.29%) और पश्चिमी चंपारण (15.67%) जैसे ज़िलों में दर्ज की गई। यह दिखाता है कि इन क्षेत्रों में मतदाताओं का उत्साह अभूतपूर्व रहा। वहीं, नवादा (4.77%), मधुबनी (7.85%) और जमुई (10.4%) में वृद्धि दर तुलनात्मक रूप से धीमी रही, बावजूद इसके कि इन ज़िलों में भी वोटिंग प्रतिशत 57% से ऊपर रहा।

किसके पक्ष में गई ये रिकॉर्ड वोटिंग?

इतने भारी मतदान की रिकॉर्ड वृद्धि ने राजनीतिक विश्लेषकों के बीच हलचल बढ़ा दी है। आम तौर पर, मतदान प्रतिशत में बड़ी वृद्धि को निम्नलिखित संकेतों के रूप में देखा जाता है. 

  • सत्ता विरोधी लहर (Anti-Incumbency): उच्च मतदान अक्सर यह दर्शाता है कि मतदाता मौजूदा सरकार के प्रति अपनी असंतुष्टि व्यक्त करने के लिए उत्सुक हैं। 
  • युवाओं और महिलाओं की भागीदारी: 2020 के चुनावों में भी महिलाओं और युवाओं ने बढ़-चढ़कर मतदान किया था। 2025 में यह ऐतिहासिक वृद्धि दर्शाती है कि 'नौकरी' और 'विकास' जैसे मूलभूत मुद्दों पर युवाओं ने स्पष्ट जनादेश देने के लिए मैदान में उतरना ज़रूरी समझा।
  • सीमांचल में कड़ा मुकाबला: अररिया, किशनगंज और पूर्णिया में 73% से अधिक मतदान होना यह संकेत देता है कि सीमांचल क्षेत्र में मुकाबला बेहद कड़ा रहा है, जहाँ एनडीए के साथ-साथ महागठबंधन और ओवैसी की पार्टी (AIMIM) भी मैदान में थी।