पूर्णिया जिले की हाई-प्रोफाइल रूपौली विधानसभा सीट पर जदयू के कलंदर प्रसाद मंडल ने जीत हासिल की। कड़े मुकाबले में मतदाताओं ने उन्हें स्पष्ट समर्थन दिया। इस जीत ने रूपौली में जदयू की राजनीतिक स्थिति को मज़बूत किया।
Rupauli Assembly Election 2025: पूर्णिया जिले की हाई प्रोफाइल रूपौली विधानसभा सीट (Rupauli Assembly Election 2025) पर जेडीयू से कलंदर प्रसाद मंडल ने जीत हासिल की है।
रूपौली विधानसभा चुनाव 2025 का परिचय
रूपौली विधानसभा, पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यहां पिछले दो दशकों से लगातार बीमा भारती (Bima Bharti) और शंकर सिंह (Shankar Singh) की राजनीतिक जंग देखी जाती रही है। जातीय संतुलन, महिला नेतृत्व, और स्थानीय मुद्दे जैसे शिक्षा, बेरोजगारी, आजीविका और किसानों का कर्ज़ चुनाव को प्रभावित करते हैं।
पिछले चुनावों का रिपोर्ट कार्ड
रूपौली विधानसभा चुनाव 2010
जदयू की बीमा भारती ने लोजपा के शंकर सिंह को 37,716 वोटों के बड़े अंतर से हराया।
- बीमा भारती (JD(U)) - 64,887 वोट
- शंकर सिंह (LJP)- 27,171 वोट
रूपौली विधानसभा चुनाव 2015
बीमा भारती ने भाजपा उम्मीदवार प्रेम प्रकाश मंडल को 9,672 वोटों से मात दी।
- बीमा भारती (JD(U)) - 50,945 वोट
- प्रेम प्रकाश मंडल (BJP)- 41,273 वोट
रूपौली विधानसभा चुनाव 2020
बीमा भारती ने एक बार फिर जीत हासिल की। उन्होंने लोजपा के शंकर सिंह को 19,330 वोटों से हराया।
- बीमा भारती (JD(U)) - 64,324 वोट
- शंकर सिंह (LJP)- 44,994 वोट
- विकास चंद्र मंडल (CPI)- 41,963 वोट
2024 रूपौली विधानसभा उपचुनाव
इस बार बीमा भारती की पकड़ ढीली पड़ी और निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह ने बाजी मार ली। बीमा भारती तीसरे स्थान पर खिसक गईं, जबकि जदयू के कलाधर मंडल दूसरे नंबर पर रहे।
जातीय समीकरण और मुद्दे
यहां मुस्लिम, यादव, भूमिहार और मंडल वोटर निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
रूपौली विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दे
- 1. शिक्षा और युवाओं की बेरोजगारी
- 2. किसानों का कर्ज़ और बाढ़ से राहत
- 3. महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं
- 4. आजीविका के साधन और सड़क संपर्क
प्रत्याशियों की छवि और संभावनाएं
- 1. बीमा भारती: पांच बार विधायक रह चुकीं, लेकिन अब उनका जनाधार कमजोर होता दिख रहा है। 10वीं पास बीमा भारती पर 4 आपराधिक केस चल रहे हैं। उनकी कुल संपत्ति 2.80 करोड़ रुपए है और उन पर 8.72 लाख की देनदारी बकाया है।
- 2. शंकर सिंह: निर्दलीय होकर भी जीत दर्ज करने वाले दमदार नेता, जातीय संतुलन का लाभ मिल सकता है।
- 3. जदयू और राजद: संगठन की ताकत और रणनीति से नए उम्मीदवार भी मैदान में उतर सकते हैं।
