सासाराम विधानसभा चुनाव 2025: रोहतास जिले की इस सीट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा की स्नेहलता ने RJD के सत्येंद्र शाह को 25443 वोटों से हराया। स्नेहलता को 105006 वोट मिले, जबकि बसपा के अशोक कुमार तीसरे स्थान पर रहे।
Sasaram Assembly Election 2025: सासाराम विधानसभा सीट (Sasaram Assembly Seat) न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि यहां के जातीय समीकरण और सियासी उलटफेर हर बार चर्चा में रहते हैं। यही वजह है कि 2025 का सासाराम विधानसभा चुनाव का रिजल्ट काफी चौंकाने वाला रहा। पिछले तीन चुनावों में जीत का परचम लहराने वाली राजद को इस बार यहां से हार का सामना करना पड़ा। इस सीट पर राष्ट्रीय लोक मोर्चा कैंडिडेट स्नेहलता ने 105006 वोट पाकर 25443 वोटों से शानदार जीत हासिल की है। आरेजेडी प्रत्याशी सत्येंद्र शाह को 79563 वोट मिले। बसपा प्रत्याशी अशोक कुमार 10261 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे।
क्या RJD का दबदबा कायम रहेगा?
पिछले तीन चुनावों पर नजर डालें तो RJD (राष्ट्रीय जनता दल) ने यहां मजबूत पकड़ बनाई है। 2010, 2015 और 2020-तीनों बार RJD ने ही जीत दर्ज की। 2020 में राजेश कुमार गुप्ता (RJD) ने जेडीयू उम्मीदवार अशोक कुमार को 26 हजार से ज्यादा वोटों से हराया था।
2020 का चुनाव: राजेश कुमार गुप्ता ने जमाई पकड़
2020 में RJD के राजेश कुमार गुप्ता ने जेडीयू के अशोक कुमार को 26,423 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी।
- राजेश को मिले: 83,303 वोट (46.54%)
- अशोक कुमार को मिले: 56,880 वोट (31.78%)
2015 का चुनाव: अशोक कुमार की धमाकेदार जीत
2015 में RJD के अशोक कुमार ने बीजेपी नेता जवाहर प्रसाद को 19,612 वोटों से हराया।
- अशोक कुमार को मिले: 82,766 वोट
- जवाहर प्रसाद को मिले: 63,154 वोट
2010 का चुनाव: RJD ने फिर दर्ज की जीत
2010 में भी RJD के अशोक कुमार ने जीत दर्ज की थी। यह लगातार दूसरी बार था जब उन्होंने अपना दबदबा कायम रखा।
किस जातीय समीकरण से तय होगा नतीजा?
सासाराम सीट पर कुशवाहा समुदाय का वोट निर्णायक माना जाता है। लेकिन इसके साथ ही राजपूत, यादव, मुस्लिम और दलित मतदाता भी चुनावी खेल को पूरी तरह बदल सकते हैं। यही वजह है कि हर राजनीतिक दल उम्मीदवार चुनते वक्त सामाजिक संतुलन बनाने की कोशिश करता है।
- कुशवाहा वोट: उम्मीदवार का भविष्य तय करते हैं
- यादव + मुस्लिम वोट-RJD का मजबूत आधार
- सवर्ण वोट- BJP और JDU का परंपरागत वोट बैंक
प्रत्याशी, शिक्षा, संपत्ति और आपराधिक रिकॉर्ड
बीजेपी लगातार आलोक रंजन पर दांव खेलती रही है, जिनकी शिक्षा और संगठनात्मक पकड़ उन्हें मजबूत उम्मीदवार बनाती है। वहीं, आरजेडी के पास अब बड़ा सवाल है कि 2025 में किसे टिकट मिलेगा?
- अरुण कुमार (RJD पूर्व विधायक)- 2015 में शानदार जीत लेकिन 2020 में टिकट कट गया।
- लवली आनंद (पूर्व RJD उम्मीदवार) – 2020 में हार के बाद 2024 में JDU में शामिल हो गईं।
- संपत्ति और आपराधिक रिकॉर्ड का भी चुनावी समीकरण पर असर होता है, खासकर ग्रामीण वोटरों के बीच।
क्या बीजेपी और जेडीयू पलट सकते हैं बाज़ी?
2015 में यहां बीजेपी और 2020 में जेडीयू दोनों ही हार का सामना कर चुके हैं। लेकिन 2025 में बदलते राजनीतिक हालात, गठबंधन और उम्मीदवारों की छवि बाज़ी पलट सकती है।
सासाराम सीट पर दांव पर क्या है?
यहां सिर्फ एक विधानसभा सीट की जीत-हार नहीं, बल्कि रोहतास जिले की सियासत की दिशा भी तय होती है। अगर RJD लगातार चौथी बार जीत दर्ज करती है तो यह साफ संदेश होगा कि गांव और शहर दोनों में उसकी पकड़ मजबूत है। लेकिन अगर विपक्ष ने चौंका दिया तो यह नतीजा पूरे बिहार की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
