बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले NDA में सीट बंटवारे पर खींचतान तेज है। सहयोगी दल जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा सीटों के प्रस्ताव से नाखुश हैं। भाजपा नेता धर्मेंद्र प्रधान गठबंधन की एकता बनाए रखने के लिए दोनों नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नज़दीक आते ही एनडीए (NDA) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। रविवार को पटना में इस राजनीतिक तनाव के बीच भाजपा (BJP) के शीर्ष नेता और बिहार चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने ताबड़तोड़ बैठकें कीं। उन्होंने पहले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतनराम मांझी से मुलाकात की और फिर राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के नेता उपेंद्र कुशवाहा के आवास पहुंचे। दोनों नेताओं से हुई इस लंबी बातचीत का मकसद एक ही था, सीट बंटवारे को लेकर सहयोगियों की नाराज़गी को शांत करना।

मांझी की नाराज़गी खुलकर आई सामने

सूत्रों के मुताबिक, जीतनराम मांझी कुछ सीटों के वितरण को लेकर असंतुष्ट हैं। उन्होंने अपनी नाराज़गी धर्मेंद्र प्रधान और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के सामने साफ शब्दों में रखी। मांझी का कहना है कि उनकी पार्टी का जनाधार कई इलाकों में मज़बूत है, लेकिन भाजपा की शुरुआती लिस्ट में उन्हें “प्रतीकात्मक” हिस्सेदारी दी गई है। बैठक में मांझी ने साफ किया कि “हम कोई परछाईं नहीं, साझीदार हैं”, और पार्टी को उसका सम्मानजनक स्थान मिलना चाहिए। भाजपा ने उन्हें आश्वासन दिया कि अंतिम चरण की सीट वितरण सूची में उनकी आपत्तियों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा।

उपेंद्र कुशवाहा भी सीट बंटवारे से असंतुष्ट

धर्मेंद्र प्रधान का अगला पड़ाव रहा आरएलजेपी के नेता उपेंद्र कुशवाहा का आवास। वहां भी सीटों को लेकर चर्चा लंबी चली। सूत्र बताते हैं कि कुशवाहा भी भाजपा के मौजूदा प्रस्ताव से खुश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी को सिर्फ कुछ सीमित सीटें देना “राजनीतिक अन्याय” होगा, जबकि उनके पास कई जिलों में मजबूत कैडर और जातीय समीकरण हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री ऋतुराज सिंह भी इस बैठक में मौजूद रहे और उन्होंने सहयोगियों को भरोसा दिलाया कि पार्टी “हर दल की राजनीतिक ताकत और ज़मीनी हकीकत” को ध्यान में रखकर फैसला लेगी।

एकजुटता बचाए रखना भाजपा के लिए चुनौती

एनडीए के भीतर की यह खींचतान भाजपा के लिए चिंता का विषय बन गई है। पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि बिहार जैसे जटिल सामाजिक और जातीय समीकरण वाले राज्य में “गठबंधन की एकजुटता” ही चुनावी सफलता की कुंजी है। इसलिए भाजपा नहीं चाहती कि सीटों को लेकर किसी सहयोगी दल की नाराज़गी जनता के बीच नकारात्मक संदेश दे। धर्मेंद्र प्रधान की यह बैठकें मांझी और कुशवाहा दोनों को साथ रखना और गठबंधन में तालमेल बनाए रखना के मिशन का हिस्सा मानी जा रही है।

जनता के बीच एकजुटता का संदेश देने की कोशिश

बीजेपी नेतृत्व इस बात पर जोर दे रहा है कि एनडीए के भीतर किसी भी प्रकार की खींचतान की छवि जनता के बीच न जाए। इसलिए पार्टी ने तय किया है कि सीट बंटवारे के बाद सभी सहयोगी दलों के नेताओं की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस होगी, जिसमें गठबंधन की “मजबूती और एकता” का संदेश दिया जाएगा। भाजपा सूत्रों का कहना है कि “अगर गठबंधन एकजुट रहा, तो एनडीए दो तिहाई बहुमत के साथ सरकार बनाएगा।”