बिहार चुनाव के बीच केंद्र ने तेजप्रताप यादव को Y+ सुरक्षा दी है। अब CRPF के 11 कमांडो उनकी सुरक्षा करेंगे। खतरे की रिपोर्ट के बाद लिए गए इस फैसले से राजनीतिक अटकलें तेज हो गई हैं।
बिहार में चुनावी माहौल गर्म है और इसी बीच सियासी हलकों में नई हलचल तब तेज हो गई जब पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव को केंद्र सरकार ने Y+ श्रेणी की सुरक्षा प्रदान कर दी। अब सीआरपीएफ के 11 कमांडो उनकी सुरक्षा में 24 घंटे तैनात रहेंगे। यह फैसला उन सुरक्षा रिपोर्टों के बाद लिया गया है जिनमें तेजप्रताप के खिलाफ संभावित खतरे की आशंका जताई गई थी।
तेजप्रताप यादव हाल ही में राजद से अलग होकर अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल बना चुके हैं और इस बार महुआ विधानसभा सीट से अपने नए चुनाव चिह्न ब्लैक बोर्ड पर मैदान में हैं। चुनाव के ठीक बीच उनकी सुरक्षा बढ़ना राजनैतिक चर्चाओं को और हवा दे रहा है।
भाजपा सांसद रवि किशन के साथ नजर आए थे तेजप्रताप
सिर्फ एक दिन पहले तेजप्रताप पटना एयरपोर्ट पर भाजपा सांसद रवि किशन के साथ दिखाई दिए थे। इस दौरान रवि किशन ने तेजप्रताप की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि तेजप्रताप दिल वाले इंसान हैं और सेवा की राजनीति करने वालों का भाजपा स्वागत करती है। तेजप्रताप ने भी जवाब में कहा कि जो रोजगार देगा, मैं उसके साथ रहूंगा। इस बयान ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया था। इसी मुलाकात और बयान के बाद से यह चर्चा तेज हो गई कि तेजप्रताप कभी भी NDA के करीब जा सकते हैं। ऐसे में सुरक्षा कवच का मिलना चुनावी रणनीति के नजरिए से भी देखा जा रहा है।
Y+ सुरक्षा का मतलब क्या है
Y+ सुरक्षा में कुल 11 प्रशिक्षित कमांडो होते हैं। इनमें 6 कमांडो पीएसओ के रूप में तेजप्रताप के साथ हर मूवमेंट में रहेंगे जबकि 5 कमांडो स्थायी तौर पर उनके निवास और आसपास तैनात रहेंगे। इससे तेजप्रताप की यात्रा, सार्वजनिक कार्यक्रम और सभाओं में सुरक्षा और अधिक कड़ी हो जाएगी।
नई पार्टी, नया समीकरण, नई रणनीति
तेजप्रताप इस चुनाव में अपने पिता की परंपरागत राजनीतिक शैली से बिल्कुल अलग रुख में दिखाई दे रहे हैं। वे बार-बार खुद को युवाओं और जनता की आवाज बताते हुए “सेवा की राजनीति” की बात कर रहे हैं। उनके समर्थक इसे तेजप्रताप की स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश मानते हैं। दूसरी ओर विरोधी दलों में यह सवाल उठ गया है कि क्या यह सुरक्षा सिर्फ संभावित खतरे की वजह से दी गई या फिर इसके पीछे कोई राजनीतिक संकेत छिपा है।
