बिहार में 2025 चुनाव से पहले महागठबंधन में CM पद को लेकर खींचतान तेज हो गई है। RJD नेता तेजस्वी यादव ने खुद को दावेदार बताते हुए कहा है कि गठबंधन बिना चेहरे के चुनाव नहीं लड़ेगा। उन्होंने नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा है।
पटनाः बिहार की सियासत एक बार फिर तेज होती नज़र आ रही है। विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर खींचतान शुरू हो गई है। आरजेडी नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने साफ़ शब्दों में कहा है कि “क्या हम भाजपाई हैं कि बिना चेहरे चुनाव लड़ेंगे? यह संभव ही नहीं है।”
तेजस्वी का अल्टीमेटम
तेजस्वी यादव इन दिनों अपनी “पूरक अधिकार यात्रा” पर निकले हुए हैं। इसी दौरान जनता से संवाद में उन्होंने यह बड़ा बयान दिया। तेजस्वी ने दो टूक कहा कि बिहार की जनता को यह जानने का हक़ है कि महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा। उन्होंने इशारों-इशारों में साफ़ कर दिया कि वो खुद को ही इस पद के लिए दावेदार मानते हैं।
राहुल गांधी और सीएम चेहरा
तेजस्वी पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी को इंडिया गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का चेहरा मान चुके हैं। लेकिन जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या राहुल ने उन्हें बिहार का सीएम उम्मीदवार घोषित किया है, तो उन्होंने कहा, “थोड़ा सब्र रखिए, फ़ैसला जनता करेगी। मुख्यमंत्री या सरकार होना ही सबकुछ नहीं है, हमें बिहार को बनाना है। सीट बंटवारे के बाद चेहरा घोषित कर दिया जाएगा।”
नीतीश कुमार पर सीधा हमला
तेजस्वी यादव ने आरा की रैली में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी तीखा वार किया। उन्होंने मंच से जनता से सवाल पूछा— “आपको नकली सीएम चाहिए या असली?” उनका इशारा साफ़ था कि वे खुद को ही महागठबंधन का “असली दावेदार” मानते हैं और नीतीश कुमार को “नकली सीएम” करार दे रहे हैं।
कांग्रेस का संतुलन
इस बीच कांग्रेस ने अब तक सीएम चेहरे पर कोई ठोस बयान नहीं दिया है। राहुल गांधी ने कहा था कि इंडिया गठबंधन आपसी सम्मान और सहयोग की भावना से चुनाव लड़ेगा और अच्छे नतीजे देगा। इससे साफ़ है कि कांग्रेस अभी इस मुद्दे पर संतुलन साधे हुए है और अंतिम फ़ैसला वक्त आने पर होगा।
तेजस्वी यादव का यह बयान दो बातें साफ़ करता है, पहला कि आरजेडी अब किसी समझौते की राजनीति करने को तैयार नहीं है। दूसरा कि महागठबंधन जनता के सामने “साफ़ चेहरा” रखकर ही मैदान में उतरेगा।
बिहार का चुनावी समीकरण हमेशा से जातीय और नेतृत्व आधारित रहा है। जनता अब बदलाव चाहती है और “असली सीएम” की तलाश कर रही है। तेजस्वी की यह रणनीति साफ़ दिखाती है कि आरजेडी इस बार पूरे आत्मविश्वास और दमदारी से चुनावी अखाड़े में उतरना चाहती है।
