'जंगलराज' शब्द की उत्पत्ति 1997 में पटना हाईकोर्ट की एक टिप्पणी से हुई, जो RJD के 15 साल के शासन का प्रतीक बना। बीजेपी नेता सुशील मोदी ने इसे RJD के खिलाफ एक प्रमुख राजनीतिक हथियार के रूप में लोकप्रिय बनाया।
पटनाः बिहार की राजनीति में दशकों से एक शब्द का इस्तेमाल सत्ताधारी और विरोधी दलों के बीच एक धारदार हथियार की तरह किया जाता रहा है 'जंगलराज'। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और लालू प्रसाद यादव के 15 वर्षों के शासनकाल को इंगित करने वाला यह शब्द इतना लोकप्रिय हो चुका है कि यह बिहार की राजनीति का एक तरह से 'ट्रेडमार्क नारा' बन गया है। दिलचस्प बात यह है कि इस शब्द की उत्पत्ति किसी विरोधी नेता के भाषण से नहीं, बल्कि पटना हाईकोर्ट की एक गंभीर मौखिक टिप्पणी से हुई थी।
हाईकोर्ट की वो सनसनीखेज टिप्पणी
'जंगलराज' शब्द की कहानी की शुरुआत जुलाई 1997 में हुई। उस समय अदालत सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा सहाय द्वारा दाखिल एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में पटना शहर में जलभराव और जल निकासी की उचित व्यवस्था नहीं होने का मुद्दा उठाया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पटना हाईकोर्ट की जस्टिस वी.पी. सिंह और जस्टिस धर्मपाल सिन्हा की डिवीजन बेंच ने उस दौरान राज्य की प्रशासनिक स्थिति पर मौखिक रूप से एक बेहद तीखी टिप्पणी की थी। जजों ने टिप्पणी करते हुए कहा था, "यह जंगलराज से भी बुरा है और इसमें अदालत के निर्देशों और जनहित के प्रति कोई सम्मान नहीं है।"
लालू-राबड़ी राज से जुड़ाव
इस न्यायिक टिप्पणी की टाइमिंग बेहद महत्वपूर्ण थी। अदालत की यह टिप्पणी लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और उनकी पत्नी राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री बनने के ठीक एक महीने बाद आई थी। लालू यादव ने चारा घोटाले में फँसने के बाद जुलाई 1997 की शुरुआत में ही इस्तीफा दिया था। अदालत की इस कठोर टिप्पणी को मीडिया में व्यापक कवरेज मिला। उस समय राज्य की बिगड़ती कानून-व्यवस्था, प्रशासनिक अराजकता और शासन में भ्रष्टाचार को देखते हुए, अदालत की टिप्पणी ने बिहार के हालात को दर्शाने के लिए एक सटीक और तीखा मुहावरा दे दिया था।
सुशील मोदी ने बनाया इसे राजनीतिक नारा
न्यायिक टिप्पणी के बाद यह शब्द चर्चा में तो आया, लेकिन इसे बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा और प्रभावी नारा बनाने का श्रेय भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप-मुख्यमंत्री दिवंगत सुशील कुमार मोदी को जाता है। सुशील कुमार मोदी ने इस शब्द को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उन्होंने अपने भाषणों, प्रेस कॉन्फ्रेंसों और चुनावी रैलियों में RJD के 15 साल के शासनकाल को 'जंगलराज' के रूप में बार-बार पेश किया। इस लगातार और आक्रामक इस्तेमाल के कारण, यह शब्द केवल एक टिप्पणी नहीं रहा, बल्कि RJD के शासनकाल में कानून व्यवस्था की कथित बदहाली का पर्यायवाची बन गया।
चुनावी मंचों पर सुशील मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने इस शब्द का ऐसा इस्तेमाल किया कि इसने बिहार के मतदाताओं के बीच एक गहरी छाप छोड़ी। बिहार की राजनीति में आज भी, जब भी कोई RJD पर कानून-व्यवस्था को लेकर हमला करता है, तो 'जंगलराज' शब्द का इस्तेमाल करना एक आवश्यक हिस्सा बन जाता है।
इस तरह, 'जंगलराज' शब्द की कहानी न्यायपालिका की एक फटकार से शुरू हुई, लेकिन एक वरिष्ठ नेता के कुशल और आक्रामक उपयोग के कारण यह बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा और विवादास्पद चुनावी नारा बन गया, जिसने दशकों तक राजनीतिक विमर्श को प्रभावित किया।
