बालोद, छत्तीसगढ़. डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ (medical staff) को लोग भगवान का दर्जा देते हैं, लेकिन ये तस्वीरें शर्मनाक (Embarrassing pictures) हैं। अगर नर्स या डॉक्टर समय पर प्रसूता को देख लेते, तो उसकी और उसके गर्भ में पल रहे जुड़वा बच्चों की मौत नहीं होती। यह मामला पारागांव(उमरादाह) की रहने वाली 30 वर्षीय प्रसूता बीटन उर्फ बिंदिया देवांगन की मौत से जुड़ा है। वो रविवार रातभर तड़पती रही, लेकिन जब उसके परिजन नर्स को बुलाने गए, तो उसने डटपते हुए कहा कि उसे परेशान मत करो..वो यानी प्रसूता मर तो नहीं रही है? लेकिन प्रसूता सचमुच मर गई। उसके बच्चे भी मर गए। बिंदिया का रविवार को ऑपरेशन होना था, लेकिन डॉक्टर छुट्टी पर थे। सोमवार सुबह तक प्रसूता और जुडवा बच्चे दोनों मर गए। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया। इस पर स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने माफी मांगकर अपना फर्ज पूरा कर लिया। एसडीएम सिल्ली थॉमस ने नर्स को निलंबित कर दिया। वहीं, पति को प्लेसमेंट के माध्यम से काम दिलाने की बात कही। इसके बाद परिजन दोपहर बाद महिला की बॉडी लेने को राजी हुए। सिविल सर्जन डॉ. बीएल रात्रे ने तर्क दिया कि प्रसूता का बीपी काफी बढ़ा हुआ था। आगे पढ़ें इसी खबर के बारे में...