NCAP Funds Wastage in Delhi: दिल्ली की हवा गंभीर स्तर पर है, लेकिन MCD ने पिछले दो साल में NCAP फंड के लगभग 29 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं किए, जिससे शहरवासियों की सेहत खतरे में है। इसे लेकर बड़ा खुलासा हुआ है।
Delhi Air Pollution NCAP Report: दिल्ली इन दिनों सांस लेना मुश्किल बना रही है। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) लगातार 'सर्व' यानी गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे समय में यह जानना और भी चिंता का विषय है कि राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (NCAP) के करोड़ों रुपए खर्च नहीं किए गए। RTI से मिली जानकारी के मुताबिक, MCD ने पिछले दो साल में करीब 29 करोड़ रुपये अपने पास ही रखे, जबकि शहर की हवा हर दिन जहरीली होती जा रही थी। दिल्ली की हवा की समस्या कोई नई नहीं है। ठंड के मौसम में वायु प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच जाता है और प्रदूषण की वजह से न सिर्फ बच्चों और बुजुर्गों बल्कि सामान्य स्वास्थ्य वाले लोग भी गंभीर समस्याओं का सामना करते हैं। ऐसे में NCAP के तहत मिले फंड का सही इस्तेमाल न होना बेहद चौंकाने वाला है।
NCAP फंड का पूरा आंकड़ा और खर्च
2023-24 के वित्तीय वर्ष में MCD के पास पिछले साल से बचे 26.6 करोड़ रुपए थे। इसके अलावा, दिल्ली को NCAP के तहत 8.93 करोड़ रुपए अतिरिक्त मिले। कुल मिलाकर उस साल खर्च के लिए 35.3 करोड़ रुपए उपलब्ध थे। लेकिन आधिकारिक दस्तावेजों के अनुसार, उस साल MCD ने सिर्फ 5.19 करोड़ रुपए खर्च किए यानी करीब 30.11 करोड़ रुपए खर्च ही नहीं हुए। आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 में, यह बचा हुआ पैसा ही शुरुआत के रूप में लिया गया। साथ में करीब 75 लाख रुपए का ब्याज जुड़कर कुल फंड 30.8 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। लेकिन मार्च 2025 तक MCD ने केवल 1.34 करोड़ रुपए खर्च किए, जबकि बाकी लगभग 29.5 करोड़ रुपए अभी भी जमीन पर इस्तेमाल नहीं हुए।
NCAP के तहत दिल्ली में क्या होना था
राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम के तहत दिल्ली को कई जरूरी कदम उठाने थे। इसमें सड़क और सार्वजनिक जगहों पर धूल नियंत्रण के लिए मशीनी सफाई और पानी छिड़काव करना शामिल था। साथ ही हवा की निगरानी के लिए एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन लगाने, शहर में ग्रीन बफर तैयार करने, और कचरे के सही प्रबंधन के उपाय करने की जिम्मेदारी थी। लेकिन RTI के जवाब में पता चला है कि ये सभी कदम जमीन पर उतने प्रभावी तरीके से लागू नहीं हुए। कई योजनाएं सिर्फ कागज पर ही नजर आईं, और वास्तविक रूप में काम का असर नजर नहीं आया।
डेटा अपलोडिंग और प्रशासनिक देरी
NCAP की प्रगति की निगरानी PRANA पोर्टल पर होती है, जहां हर शहर की गतिविधियों की रिपोर्ट अपलोड करनी होती है। दिल्ली में इस काम में भी काफी देरी देखी गई है। शहर ने 'एयर क्वालिटी चैलेंज मेथड' के तहत अपने कई कमिटमेंट पूरे नहीं किए। जैसे, प्लास्टिक कचरे के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराया गया और ई-वेस्ट कलेक्शन सेंटर्स का नोटिफिकेशन अभी तक आधिकारिक पोर्टल पर नहीं हुआ। साथ ही वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए जरूरी ऑटोमेटेड टेस्टिंग और वाहन स्क्रैपिंग फैसिलिटी अब तक चालू नहीं की गई। ये सभी देरी और अनदेखी शहर की हवा की गुणवत्ता पर सीधा असर डालती हैं।
दिल्ली की हवा की हकीकत
दिल्ली में हालात गंभीर हैं। मंगलवार को AQI ने पहली बार गंभीर स्तर पार किया, जिसका मतलब है कि यह स्थिति हेल्दी लोगों के लिए भी खतरे वाली बन सकती है। अगले दिन भी हवा की गुणवत्ता सर्व रही और शुक्रवार को हल्की सुधार के बाद इसे वेरी पुअर कैटेगरी में रखा गया। सीपीसीबी के अनुसार, 0-50 AQI को अच्छा, 51-100 संतोषजनक, 101-200 मध्यम, 201-300 खराब, 301-400 बहुत खराब और 401-500 गंभीर माना जाता है। इस लिहाज से दिल्ली की हवा लंबे समय से गंभीर स्तर पर है।
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