फरीदाबाद, हरियाणा. लॉकडाउन ने लोगों की जिंदगी पर जैसे पहाड़-सा तोड़ दिया है। रोजी-रोटी खत्म होने और सरकार या अन्य कहीं से राशन-पानी और रहने का प्रबंध न होने पर हजारों लोग पैदल या साइकिलों जरिये अपने घरों को निकल पड़े। यह कहानी भी ऐसे ही मामा-भांजे की है। लेकिन मामा की विडंबना थी कि वो दिव्यांग होने से साइकिल भी नहीं चला सकता था। लिहाजा, भांजे ने हिम्मत जुटाई और बिहार के गया तक करीब 1350 किमी अकेले साइकिल खींचकर ले गया। पीछे मामा बैठा हुआ था। इस दूरी को तय करने में उसे 8 दिन लगे। रास्ते में कई जगहों पर उसे पुलिस ने डंडे भी मारे। कुछ दिन भूखा भी रहना पड़ा। मामा सतेंद्र ने बताया कि वो अपने भांजे बबलू कुमार का यह साहस जिंदगी भर नहीं भूल पाएगा। दोनों गया जिले के गांव टोला थारी झारी में रहते हैं। बबलू हरियाणा के बल्लभगढ़ में रहकर एक वर्कशॉप में काम करता था। वहीं, मामा मलेरना रोड पर रहता था। वो यहां किसी प्राइवेट कंपनी में काम करता था। (पहली तस्वीर उन लोगों की है, जो पैदल अपने घरों को निकले हैं, दूसरी तस्वीर मामा-भांजे की है)