सार
नागरिकता संशोधन अधिनियम CAA के खिलाफ दायर हुई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। याचिकाओं के माध्यम से कहा गया है कि ये अधिनियम मुसलमानों से भेदभाव करता है।
दिल्ली. नागरिकता संशोधन अधिनियम सीएए के खिलाफ दायर हुई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। याचिका में कहा गया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 के अंतर्गत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। इसलिए इस अधिनियम को लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है।
200 से अधिक याचिकाएं दायर
जानकारी के अनुसार मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ में इस मामले की सुनवाई होगी। आपको बतादें कि इस मामले में 200 से अधिक याचिकाएं आई हैं। सीएस को भारतीय संसद ने 2019 में पारित किया था। जो 1955 के नागरिकता संशोधन कानून में संशोधन करता है।
यह है कानून
दरअसल सीएए कानून के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई धर्म के लोगों को भारत आने पर उन्हें भारतीय नागरिकता हासिल करने का कानून है। इस अधिनियम के तहत वे लोग जो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं।
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समानता के अधिकार के प्रावधानों के खिलाफ
इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष आईयूएमएल की याचिका का उल्लेख करते हुए कहा था कि सीएए संसद से पारित होने के चार बाद इसके नियमों का ऐसे समय अधिसूचित करना सरकार की मंशा को संदिग्ध बनाात है। जबकि चुनाव नजदीक हैं। आपको बतादें कि असम के नेता देबब्रत सैकिया, असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन आफ इंडिया आदि ने सीएए के नियम 2024 को चुनौती दी है। इस मामले में केरल सरकार ने 2020 में कोर्ट का रूख करते हुए कहा था कि य भारतीय संविधान के समानता के अधिकार के प्रावधानों के खिलाफ है। इस मामले में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सीएए लागू करने के पीछे सरकार का असली मकसद एनआरसी के जरिए मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना है।
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