सार
ओडिशा हाईकोर्ट ने सेना के मेजर और उनकी मंगेतर के साथ मारपीट मामले में मीडिया में उनके नाम उजागर न करने का आदेश दिया। मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए गए, जिसकी रिपोर्ट 60 दिनों में पेश की जाएगी।
भुवनेश्वर। ओडिशा के भुवनेश्वर के चंदका रोड पर सेना के अधिकारी और उनकी मंगेतर के साथ मारपीट के मामले में हालिया घटनाक्रम के तहत ओडिशा हाई कोर्ट ने मीडिया और सोशल मीडिया को निर्देश दिया है कि वह मेजर और उनकी मंगेतर के नाम को उजागर न करें। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस मामले की क्राइम ब्रांच द्वारा की जा रही जांच की निगरानी नहीं करेगी, क्योंकि ऐसा करने की आवश्यकता नहीं है।
हाईकोर्ट ने पुलिस स्टेशन से तलब की CCTV कैमरों की स्थिति रिपोर्ट
हालांकि हाईकोर्ट ने राज्य के सभी पुलिस स्टेशनों में CCTV कैमरों की स्थिति की रिपोर्ट तलब की है। इस बीच ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं, जिसमें कथित तौर पर पुलिस स्टेशन में सेना अधिकारी को प्रताड़ित किया गया और उनकी मंगेतर के साथ यौन उत्पीड़न हुआ था। मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि राज्य सरकार दोषी पाए गए अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी।
कब तक जांच रिपोर्ट सौंपेगी टीम
न्यायिक जांच का नेतृत्व न्यायमूर्ति चित्तरंजन दास करेंगे और 60 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे। मुख्यमंत्री ने कानून के शासन का सम्मान करते हुए कहा कि राज्य सरकार भारतीय सेना का सम्मान करती है और महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
कब और कहां की है ये घटना?
यह घटना 15 सितंबर की है, जब सेना के मेजर और उनकी मंगेतर कुछ बदमाशों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए भरतपुर पुलिस स्टेशन पहुंचे थे। लेकिन, उनकी शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय, पुलिस ने उन्हें प्रताड़ित किया और बिना किसी कारण जेल में डाल दिया। ओडिशा सरकार ने महिलाओं के खिलाफ हिंसा के प्रति 'जीरो टाॅरलेंस' की नीति को दोहराते हुए मामले की त्वरित जांच के निर्देश दिए हैं। सरकार इस घटना को लेकर गंभीर है।
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