सार

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 376 के दुरुपयोग को लेकर चिंता जताई है। इस धारा को लेकर यह कहा गया है कि महिलाएं अपने पुरुष पार्टनर से विवाद होने पर इस धारा का गलत प्रयोग कर सकती हैं।

उत्तराखंड। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने इंडियन पीनल कोर्ट (आईपीसी) की धारा 376 के दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की है। जिसमें कहा गया कि कुछ महिलाएं अपने पुरुष पार्टनर के साथ विवाद के दौरान एक हथियार के रूप में इसका गलत प्रयोग कर सकती हैं। यह बड़ी चिंता का विषय है। 

न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने यह टिप्पणी एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को रद्द करते हुए की है जिसमें व्यक्ति पर कथित तौर पर एक महिला से शादी करने का झांसा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाने का मामला दर्ज किया गया था।

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हाईकोर्ट ने जाहिर की चिंता
पति के सेक्स से इनकार पर कर्नाटक उच्च न्यायालय का कहना है कि पत्नी को शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना हिंदू विवाह अधिनियम के तहत क्रूरता है, आईपीसी की धारा 498ए के तहत नहीं। हाईकोर्ट के न्यायाधीश का कहना है कि महिलाएं कानून की धाराओं को प्रय़ोग अपने लाइफ पार्टनर से विवाद के बाद कैसे भी कर सकती हैं जो कि बड़ी चिंता का विषय है। 

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क्या है धारा 376 का मामला
इंडियन पीनल कोर्ट (IPC) की धारा 376 के तहत आरोपी के खिलाफ बलात्कार का मुकदमा दर्ज किया जाता है। यदि मामले में आरोप साबित हो जाता है तो अपराधी को कम से कम सात साल की सजा मिलती है। कभी कभी कुछ मामलों में कोर्ट से सजा दस साल तक के लिए भी सुना सकती है। 

रेप के बचाव के उपाय
रेप के झूठे मामलों में पीड़ित व्यक्ति हर बार यौन संबंध बनाने पर शिकायतकर्ता की इच्छा को साबित कर सकता है। उसे यह साबित करना होगा कि उस व्यक्ति ने उसके साथ संबंध सहमति से बनाए हैं। यह व्हाट्सएप संदेशों, ईमेल के जरिए भी साबित किया जा सकता है।