सार
HEC टेक्निशियन दीपक कुमार उपरारिया की कहानी मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। इन्होंने चंद्रयान -3 के लॉन्चपैड पर काम किया था, लेकिन 8 महीने से सैलरी नहीं मिलने की वजह से रांची में सड़क किनारे एक दुकान पर इडली बेचना पड़ रही है।
रांची. मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले HEC टेक्निशियन दीपक कुमार उपरारिया की कहानी मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई है। इन्होंने चंद्रयान -3 के लॉन्चपैड पर काम किया था, लेकिन कहा जा रहा है कि उन्हें 18 महीने से सैलरी नहीं मिलने की वजह से रांची में सड़क किनारे एक दुकान पर इडली बेचना पड़ रही है।'
Chandrayaan-3: दीपक कुमार उपरारिया वायरल न्यूज, पढ़िए 12 बड़ी बातें
1.HEC (हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन लिमिटेड) में कार्यरत तकनीशियन दीपक कुमार उपरारिया ने इसरो के चंद्रयान -3 लॉन्चपैड के निर्माण में भूमिका निभाई थी। लेकिन अब ये गुजारा करने के लिए रांची में सड़क के किनारे एक स्टॉल पर इडली बेचते देखे जा सकते हैं।
2.BBC के मुताबिक, उपरारिया की शहर के धुर्वा इलाके में पुरानी विधानसभा के सामने एक दुकान है। उपरारिया की ये दुर्दशा चंद्रयान-3 के निर्माण में योगदान देने वाली भारत सरकार की कंपनी HEC द्वारा 18 महीने से उनके वेतन का भुगतान न करने के कारण हुई।
3. बता दें कि अगस्त में चंद्रमा के साउथ पोल पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के साथ चंद्रयान-3 ने भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि दर्ज की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस ऐतिहासिक क्षण के दौरान इसरो वैज्ञानिकों को बधाई दी और चंद्रयान मिशन के लॉन्चपैड कर्मियों की सराहना की थी।
4. हालांकि, जश्न के बीच रांची में एचईसी कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन ने विघ्न पैदा, जो 18 महीने के बकाया वेतन से जूझ रहे थे।
5.BBC के अनुसार, लगभग 2,800 एचईसी कर्मचारियों का दावा है कि उन्हें पिछले डेढ़ साल से वेतन नहीं मिला है, जिसमें उपरारिया भी शामिल है।
6.उपरारिया अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कई दिनों से इडली बेच रहे हैं। वह अपनी दुकान और कार्यालय का काम साथ-साथ करते हैं। सुबह इडली बेचते हैं, दोपहर को कार्यालय जाते है और शाम को फिर इडली बेचने के लिए लौट आते हैं।
7.अपने घरेलू खर्चों का इंतजाम करने उपरारिया ने शुरू में क्रेडिट कार्ड के जरिये 2 लाख रुपये का कर्ज लिया, हालांकि वे उसे चुका नहीं पाए। इसके बाद आर्थिक मदद के लिए बेचैन उपरारिया ने रिश्तेदारों से पैसे उधार लिए, जिससे कुल मिलाकर 4 लाख रुपये का कर्ज हो गया। अपनी आर्थिक स्थिति ख़राब होने के कारण उन्हें अपना गुजारा चलाने के लिए पत्नी के गहने भी गिरवी रखने पड़े।
8. उपरारिया ने कहा-"पहले मैंने क्रेडिट कार्ड से अपना घर चलाया। मुझे 2 लाख रुपये का लोन मिला। मुझे डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया। इसके बाद मैंने रिश्तेदारों से पैसे लेकर घर चलाना शुरू किया।"
9. उपरारिया ने कहा-"अब तक मैं 4 लाख रुपये का लोन ले चुका हूं। चूंकि मैंने किसी को पैसे नहीं लौटाए, अब लोगों ने उधार देना बंद कर दिया है। फिर मैंने अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख दिए और कुछ दिनों तक घर चलाया।''
9. उपरारिया के अनुसार, जब उन्हें लगा कि भुखमरी का समय आ गया है, तो इडली बेचने लगे। उपरारिया ने बताया, "मेरी पत्नी अच्छी इडली बनाती है। मैं उन्हें बेचकर हर दिन 300 से 400 रुपये कमाता हूं, जिसमें 50 से 100 रुपये का मुनाफा होता है। इस आय से अपना घर चला रहा हूं।"
10.मूल रूप से मध्य प्रदेश के हरदा जिले के रहने वाले उपरारिया सरकारी क्षेत्र में एक आशाजनक भविष्य की उम्मीद में 2012 में एचईसी में शामिल हुए। उन्होंने 8,000 रुपये के वेतन के साथ नौकरी की शुरुआत की, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी उम्मीदें पूरी नहीं हुईं।
11. उपरारिया की दो बेटियां स्कूल जाती हैं। आर्थिक संकट के कारण वह उनकी स्कूल की फीस नहीं भर पा रहे हैं। स्कूल से नोटिस मिला है। क्लास में बच्चों को अपमानित होना पड़ा।
12. उपरारिया ने कहा-"मेरी दो बेटियां हैं। दोनों स्कूल जाती हैं। इस साल मैं अभी तक उनकी स्कूल फीस नहीं भर पाया हूं। स्कूल की ओर से रोजाना नोटिस भेजे जा रहे हैं।"
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